एसडीएम, पुलिस वालों पर केस दर्ज नहीं किया तो घेरेंगे करनाल जिला सचिवालय
करनाल/घरौंडा, 30 अगस्त (हप्र/निस)
प्रदेश के किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष तेज करते हुए 7 सितंबर से करनाल के जिला सचिवालय का अनिश्चितकालीन घेराव का ऐलान किया है। साथ ही मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों का विरोध जारी रखने का निर्णय लिया गया है। भाकियू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने सोमवार को हजारों किसानों की मौजूदगी में किसान पंचायत का निर्णय सुनाते हुए यह ऐलान किया।
करनाल में दो दिन पहले किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर घरौंडा में सोमवार को पंचायत हुई। चढूनी ने कहा कि मंगलवार को शाहाबाद में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का घेराव व विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जब भी करनाल आएंगे, उनका विरोध किया जाएगा। पंचायत में सरकार को 6 सितंबर तक अल्टीमेटम देते हुए मांग की गई कि लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करके उन्हें निलंबित और बर्खास्त किया जाये।
इसके अलावा, लाठीचार्ज में घायल किसानों को 2-2 लाख रुपये मुआवजा तथा चोट लगने के बाद शहीद हुए किसान के परिवार को 25 लाख मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाये। किसान संगठनों ने कहा कि अगर उनकी मांग 6 सितंबर तक नहीं मानी गई तो 7 को करनाल में महापंचायत करके करनाल जिला सचिवालय का अनिश्चितकालीन घेराव किया जाएगा। किसान नेता राजकौर गिल ने कहा कि जिन किसानों को चोटें लगी है, उनकी एक एक चोट का बदला लिया जाएगा।
बार-बार नहीं पिटेंगे
चढूनी ने कहा कि पंचायत में संघर्ष तेज करने का निर्णय लिया गया है। हम बार बार नही पिटेंगे, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा के सभी किसान संगठन एक मंच पर आयेंगे। हरियाणा पंचायत का निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा के समक्ष रखा जायेगा। मोर्चा को कहा जायेगा कि कड़ा निर्णय ले, रोज-रोज की पिटाई अब बर्दाश्त नहीं होती। अगर संयुक्त मोर्चा निर्णय नहीं लेता तो हरियाणा के किसान संगठन अपने स्तर पर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि अन्य प्रदेशों में भी आंदोलन हो रहे हैं, लेकिन हरियाणा में किसानों पर सबसे अधिक बर्बरता की जा रही है। उन्होंने कहा कि रायपुर जटान निवासी सुशील काजल की मौत पुलिस की बर्बरता से हुई है। उसे इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाने दिया गया और अंदरुनी चोट गंभीर होने के कारण उसने घर जाकर दम तोड़ दिया। उल्लेखीय है कि करनाल के पुलिस अधीक्षक ने रविवार को कहा था कि किसान की मौत चोट लगने से नहीं हार्ट अटैक से हुई है।
हुड्डा भी आ जाएं सड़कों पर
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा करनाल लाठीचार्ज की जांच की मांग किये जाने पर चढूनी ने कहा कि उन्होंने मांग की है तो अच्छी बात है, लेकिन मैं तो कहता हूं कि वह भी सड़क पर आ जायें। उन्होंने कहा कि विपक्ष सही भूमिका अदा नहीं कर रहा। किसानों का लाभ तो सभी उठाते हैं, भाजपा भी किसानों का लाभ उठाकर सत्ता में आई है। किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बयान पर चढूनी ने कहा कि उनके बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं। सीएम जानते हैं कि लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार अधिकारी सरकार में शामिल किन नेताओं के रिश्तेदार हैं।
एक को विरोध करेंगे वामदल
रोहतक/पानीपत (हप्र/निस): 4 वामपंथी पार्टियों सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआई(एमएल) और एसयूसीआई(सी) ने बसताड़ा टोल पर किसानों पर लाठीचार्ज की निंदा की है। उन्होंने एसडीएम को बर्खास्त करके धारा 307 के तहत केस दर्ज करने की मांग की है। सोमवार को यहां जारी संयुक्त बयान में पार्टियों के चारों राज्य सचिवों सुरेन्द्र सिंह, दरियाव सिंह कश्यप, प्रेम सिंह गहलावत और सत्यवान ने मृत किसान के परिवार को मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग की। उधर, पानीपत में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने किसान सुशील की मौत होने पर हत्या का केस दर्ज करने की मांग की है। सीपीआई की जिला कौंसिल की मीटिंग में यह प्रस्ताव पारित किया गया।
आंख खराब होने का प्रचार भ्रामक
सोमवार को कल्पना चावला राजकीय मैडिकल कालेज के निदेशक जगदीश दुरेजा ने कहा कि 23 वर्षीय युवक, जिसकी नाक पर चोट लगी थी, उसे भी किसानों के साथ दाखिल किया था। इस मरीज के लिए कुछ लोग सोशल मीडिया पर युवक की आंख खराब होने की अफवाह फैला रहे हैं। यह निराधार है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है।