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शूटिंग देखने गयी, मिल गया रोल

09:18 AM Oct 19, 2024 IST
शूटिंग देखने गयी  मिल गया रोल
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जयनारायण प्रसाद
साठ के दशक में बंगाली फिल्म से डेब्यू करने वाली अभिनेत्री संध्या राय ने ‌साल 1962 में निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘असली नकली’ से हिंदी सिनेमा में एंट्री की। इसमें देवानंद हीरो थे। उसके बाद पूजा के फूल, राहगीर व बंदगी जैसे कई हिट फिल्मों में भूमिका निभाई। अब वे कोलकाता में एकाकी जिंदगी जी रही हैं।

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1956 में की फिल्मों में एंट्री

बंगाल में नदिया जिले के नवद्वीप इलाके में वर्ष 1941 में जन्मीं संध्या राय ने पहली बांग्ला मूवी ‘मामलार फल’ (मतलब मामले का नतीजा) 1956 में की। उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बचपन में ही मां-बाप को खो चुकीं संध्या राय को उनकी जिंदगी की पहली मूवी यूं ही नहीं मिली थी। वह थोड़ी दूर खड़ी किसी बांग्ला फिल्म की शूटिंग देख रही थीं, तभी निर्देशक का ध्यान उस पर पड़ा और वह चुन ली गई।

बंबई का रुख 1961 में

उसके बाद संध्या राय को ‌लगातार फिल्में मिलती रहीं। एक से एक हिट फिल्में उन्होंने दीं। फिर बंबई की तरफ रुख किया और ‌1962 में मिलीं निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘असली नकली’, जिसमें देवानंद, साधना, लीला चिटनिस, अनवर हुसैन तथा एक महत्वपूर्ण किरदार में संध्या राय थीं। नवंबर, 1962 में रिलीज हुई ‘असली नकली’ में संगीत शंकर-जयकिशन का था और गाने हसरत जयपुरी व शैलेन्द्र ने लिखे थे। इस फिल्म का मशहूर गीत है ‘तुझे जीवन की डोर से बांध लिया है’, जिसे मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर ने गाया। इसी फिल्म का एक और गीत है ‘तेरा मेरा प्यार अमर’ (लता मंगेशकर), जो कालजयी गानों में शुमार है। ‘असली नकली’ बाक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक चली थी। देवानंद और साधना की खूबसूरत फिल्मों में एक ‘असली नकली’ भी है।

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1964 में मिली ‘पूजा के फूल’

भीम सिंह निर्देशित ‘पूजा के फूल’ (1964) भी अच्छी हिंदी फिल्मों में शुमार है। इस मूवी में अशोक कुमार, धर्मेंद्र, माला सिन्हा, निम्मी, प्राण और संध्या राय ने भूमिका निभाई थीं। इसमें संगीत मदन मोहन का था। असल में ‘पूजा के फूल’ एक तमिल फिल्म ‘कुमुधम’ का रिमेक थीं। हिंदी फिल्म ‘पूजा के फूल’ में संध्या राय की भूमिका खास थीं, इसलिए और भी फिल्में संध्या राय को मिलती रहीं।

‘राहगीर’ में खास भूमिका

1969 में संध्या राय की एक और हिंदी मूवी आई- ‘राहगीर’। इसका निर्देशन संध्या राय के पति तरुण मजूमदार ने किया था। इसमें अभिनेता विश्वजीत, शशिकला, निरुपा रॉय, इफ्तिखार, असित सेन और संध्या राय ने किरदार निभाया था। ‘राहगीर’ असल में तरुण मजूमदार की एक बांग्ला फिल्म ‘पलातक’ (1963) का रिमेक थीं। ‘राहगीर’ में म्यूजिक हेमंत कुमार का था। इसका गाना ‘जन्म से बंजारा हूं बंधु’ आज भी सुना जाता है।

1971 की ‘जाने अनजाने’

निर्देशक शक्ति सामंत ने वर्ष 1971 में फिल्म ‘जाने अनजाने’ का निर्देशन किया था। इसमें शम्मी कपूर, विनोद खन्ना, लीना चंद्रावरकर के साथ संध्या राय भी थीं। इस फिल्म में संगीत शंकर-जयकिशन का था और गीत हसरत जयपुरी ने लिखा था। इसमें मन्ना डे का गाया ‘छम छम बाजे रे पायलिया’ बेहतरीन गानों में शुमार है। संध्या राय ने इस फिल्म में ‘कोइली’ का किरदार निभाया था।

संध्या राय की ‘बंदगी’

बीएफजेए की ओर से चार बार और फिल्मफेयर (पूर्व) की ओर से एक बार सम्मानित संध्या राय की आखिरी हिंदी फिल्म थीं ‘बंदगी’(1972), जिसका निर्देशन के. शंकर ने किया था। ‘बंदगी’ में मुख्य अभिनेता विनोद मेहरा थे और संध्या राय अभिनेत्री। खलनायक की भूमिका में मदन पुरी भी थे। संगीत शंकर-जयकिशन ने दिया था। इस हिंदी मूवी के बाद संध्या राय कलकत्ता लौट आई थीं। उसके बाद छिटपुट बांग्ला फिल्में करती रहीं। अब 83 साल की उम्र में संध्या राय कोलकाता में अकेली जिंदगी जी रही हैं।

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