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भूल गया सब कुछ, याद नहीं अब कुछ

07:59 AM Jul 27, 2024 IST

सहीराम

जो कोई नहीं कर पाया, वह कोरोना ने कर दिया जी! नहीं-नहीं कोरोना चला गया है। बहुत दुख देकर गया है, पर चला गया है। प्रियजनों को छीनकर, रोजगार को छीनकर और दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को तबाह करके गया है, पर चला गया है। हमारी सेहत को खराब करके गया है, पर चला गया है। यह जो युवाओं की अचानक मौतें होने लगी हैं न-बताते हैं कि वह सब कोरोना का ही असर है। वह जो टीका लग रहा था कोरोना का, उस पर भी पिछले दिनों इतने सवाल खड़े हुए थे कि कंपनी ने वह टीका ही वापस ले लिया। पर यह मान लिया गया था कि कोरोना चला गया है।
लेकिन पिछले दिनों वह एक बार फिर दुनिया के सामने आ खड़ा हुआ, दुनिया के सबसे ताकतवर आदमी को अपने लपेटे में लेकर। जी हां, अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन साहब पिछले दिनों कोरोनाग्रस्त हो गए। क्वारंटाइन भी हुए। बताते हैं कि इसके बाद ही उन्होंने राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने का फैसला किया। वरना इससे पहले वे इस दौड़ में डटे हुए थे और कह रहे थे डटा ही रहूंगा। ट्रंप ही नहीं उनके खैरख्वाह भी कहने लगे थे कि उम्र उन पर हावी हो गई है और वे कमजोर हो गए है और भुलक्कड़ हो गए हैं। वैसे ही जैसे हमारे यहां के बूढ़े बाबा नाम-वाम भूलने लगते हैं।
नाटो के सम्मेलन में गए तो वहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति को पुतिन कहकर बुलाया। एक बार किसी महिला को अपनी पत्नी समझ लिया और यह चुहुल नहीं थी- भुल्लकड़ी थी। इसीलिए उन्होंने किसी और को ट्रंप कहकर भी बुलाया। वे चलते-चलते रुकने लगे, भटकने लगे। लोग कहने लगे कि यार ट्रंप जैसे खिलाड़ी के सामने बूढ़े बाबा टिक नहीं पाएंगे। उन्होंने डिबेट में ही उनकी हालत खराब कर दी। सो खैरख्वाहों ने उन्हें सलाह देनी शुरू की- बाबाजी रास्ता खाली कर दो, किसी और को आने दो। हो सकता है अमेरिका में यह न कहा जाता हो कि अब राम नाम जपने की उम्र है, कहां राष्ट्रपति पद के चक्कर में पड़े हो। हो सकता है कि उनके यहां मार्गदर्शक मंडल भी न हो।
सो खैरख्वाहों ने कहा कि अब मान भी जाओ बाबाजी। किसी और को लड़ लेने दो। पर बूढ़े बाबा अड़ गए। बोले, नहीं मैं तो एकदम फिट हूं। राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकता हूं। बन भी सकता हूं। बिल क्लिंटन से लेकर ओबामा तक उनकी पार्टी के पूर्व राष्ट्रपतियों ने उनको समझाया। थिंक टैंकों ने समझाया, पार्टी के चंदादाताओं ने समझाया। पर बूढ़े बाबा अड़े रहे-चुनाव तो मैं ही लड़ूंगा। तभी कोरोना ऐसे आया जैसे कह रहा हो कि इस बुढ़ऊ को तो मैं देखता हूं। बस जी लपेट लिया। उसके लेपेटे में आकर ही बूढ़े बाबा को समझ में आया कि अब तो हटने में ही भलाई है।

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