सैकड़ों मजदूरों ने जुलूस निकाल कर लघु सचिवालय पर किया प्रदर्शन
फरीदाबाद, 26 नवंबर (हप्र)
श्रमिक विरोधी, श्रम संहिताओं को रद्द करने, किसानों की फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने, महंगाई पर रोक लगाने, जन सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाने सहित अन्य मांगों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, संयुक्त किसान मोर्चा एवं कर्मचारी फेडरेशनों के आह्वान पर आज जॉइंट ट्रेड यूनियन काउंसिल फरीदाबाद के बैनर तले सैकड़ों मजदूरों ने लघु सचिवालय परिसर में जुलूस निकाला। इसके बाद राष्ट्रपति के नाम 12 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन एसडीएम शिखा आंतिल को सौंपा गया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सभी घटकों के सैकड़ों वर्कर राजस्थान भवन के सामने एकत्रित हुए। यहां पर विरोध सभा का आयोजन किया गया। इस सभा की अध्यक्षता एटक के कॉमरेड बेचू गिरी, इंटक के नेता हुकम चंद बेनीवाल, एचएमएस के कामरेड, राजपाल डांगी, सीटू की नेता सुधा, सर्व कर्मचारी संघ के वरिष्ठ उपप्रधान नरेश शास्त्री, आईसीटीयू के कामरेड जवाहरलाल ने संयुक्त रूप से की। सभा का संचालन कन्वीनर वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने किया। इस सभा को रिटायर कर्मचारी संघ के प्रधान, नवल सिंह, एटक के कामरेड बिसंबर सिंह, आई सी टी यू के कामरेड जवाहरलाल, सीटू की कोषाध्यक्ष, सुधा और इंटक के नेता श्याम बाबू ने संबोधित किया।
यहां पर उपस्थित जन समुदाय को एटक के कामरेड बेचू गिरी ने संबोधित किया। उन्होंने केंद्र सरकार कहा केंद्र सरकार जन विरोधी काम कर रही है। देश में सांप्रदायिक विभाजन के खिलाफ कानूनों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।
किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों किया प्रदर्शन
नारनौल (हप्र) : किसान आंदोलन की चौथी वर्षगांठ पर संयुक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सांझा मंच के आह्वान पर विभिन्न श्रमिक संगठनों के सदस्यों ने केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ स्थानीय लघु सचिवालय में विरोध प्रदर्शन किया। इसके पश्चात तहसीलदार को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के जिला प्रधान पवन कुमार ने भी ग्रामीण सफाई कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। सभा की अध्यक्षता एआईकेकेएमएस के जिला प्रधान बलबीर सिंह व एआईयूटीयूसी जिला प्रधान मास्टर सूबे सिंह ने की। किसान संगठन एआईकेकेएमएस के जिला प्रधान बलबीर सिंह ने कहा कि खाधान्न सहित सभी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन किसान और मजदूर करते हैं, लेकिन किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम नहीं और मजदूरों को अपनी मेहनत-मजदूरी की पूरी दिहाड़ी नहीं मिलती। जिस कारण वे भयंकर आर्थिक तंगी के हालात में जी रहे हैं।