हरियाणा में उफान, दिल्ली में ‘खतरे का निशान’
सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 12 अगस्त
पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश का आलम यह रहा कि हरियाणा में यमुना नदी लबालब हो गयी। इसके चलते हथिनीकुंड बैराज के फ्लडगेट लगातार 30 घंटे तक खुले रखे गए। अब लाखों क्यूसेक पानी हरियाणा के विभिन्न जिलों से होता हुआ दिल्ली की तरफ बढ़ रहा है। दिल्ली में भी पहले से ‘खतरे के निशान’ को छू रही यमुना नदी का जलस्तर शनिवार शाम तक और बढ़ने की आशंका है।
यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज पर बृहस्पतिवार सुबह 6 बजे जब पानी 76 हजार क्यूसेक तक पहुंचा तो बैराज के गेट खोल दिए गए। साथ ही उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की नहरों को पानी की सप्लाई बंद कर दी गई। दोपहर 2 बजे तक पानी 2 लाख 21786 क्यूसेक हो गया। धीरे-धीरे जलस्तर तो कुछ कम हुआ, लेकिन फ्लडगेट तब भी खुले रहे, क्योंकि 70000 क्यूसेक से अधिक पानी होने के बाद हथिनी कुंड बैराज के गेट खुले रहते हैं। पानी का स्तर शुक्रवार दोपहर 1 बजे के आसपास 70000 क्यूसेक के नीचे आया। इसके बाद हथिनी कुंड बैराज के गेट बंद किए गए और नहरों की सप्लाई शुरू की गई।
सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल ने बताया कि हथिनी कुंड बैराज से पानी विभिन्न निचले इलाकों में गया, लेकिन उससे बहुत अधिक नुकसान की सूचना नहीं है। सिंचाई विभाग के कर्मचारियों, अधिकारियों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि यह पानी 38 से 40 घंटे में दिल्ली पहुंचता है। यह मीडियम फ्लड था जिसके चलते 30 घंटे तक लगातार हथिनी कुंड बैराज के गेट खुले रहे।
लोगों को किया जा रहा है शिफ्ट
नयी दिल्ली (एजेंसी) : राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी का जलस्तर 205.33 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गया। प्रशासन निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को वहां से ‘शिफ्ट’ कर रहा है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, पुराने रेलवे पुल पर शुक्रवार सुबह आठ बजे जलस्तर 203.86 मीटर था जो अपराह्न तीन बजे तक बढ़कर 205.29 मीटर हो गया। एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ जैसी स्थिति पर डूब क्षेत्र और बाढ़ संभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता है। पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी अनिल बांका ने कहा, ‘हमने सभी संबंधित विभागों के साथ एक बाढ़ नियंत्रण योजना साझा की है।’
कई जगह भूमि कटाव का खतरा
हरियाणा में यमुना के साथ लगते विभिन्न इलाकों में भूमि कटाव का खतरा पैदा हो गया है। जैसे-जैसे पानी यमुना में कम होगा, आसपास की भूमि कटकर यमुना में जा सकती है। कुछ इलाकों में फसलें भी प्रभावित हो सकती हैं। यमुना के आसपास के किसान चिंतित हैं। किसानों का कहना है कि बार-बार वह प्रशासन से यमुना के किनारे को पक्का किए जाने की मांग करते रहे, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई जिसके चलते उनकी भूमि फसल सहित यमुना में समाने का खतरा बढ़ जाता है। हरियाणा सिंचाई विभाग हर साल बाढ़ रोकथाम कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च करता है, लेकिन भूमि कटाव रुकता नहीं। इसी के चलते हर साल किसानों की कीमती भूमि यमुना में समा जाती है।