बुजुर्ग माता-पिता को आखिर न्याय मिलेगा कैसे!
कुमार मुकेश/ हप्र
हिसार, 8 जनवरी
वरिष्ठ नागरिकों की मदद के लिए बने एक अहम कानून का उन्हें फायदा नहीं मिल पा रहा। उनकी याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो पा रही। हम बात कर रहे हैं माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण के लिए बने कानून की। प्रावधान है कि इस अधिनियम की याचिकाओं को अधिकतम 120 दिन (90 दिन की अवधि तय है, अपवाद की स्थिति में 30 दिन और बढ़ाया जा सकता है) में निपटाना जरूरी है। लेकिन, हिसार सहित प्रदेश के कई जिलों में इससे संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के लिए कई माह से ट्रिब्यूनल ही गठित नहीं हुआ है। ऐसे में 120 दिन में फैसला तो दूर, सुनवाई शुरू तक नहीं हो पा रही।
‘हरियाणा मेंटेनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन रूल्स 2019’ के नियम तीन के अनुसार प्रत्येक उपमंडल के एसडीएम इस ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन होते हैं और बाकी दो गैर सरकारी सदस्यों को उपायुक्त मनोनीत करते हैं। इनमें से एक सदस्य एनजीओ से होता है। दूसरा सदस्य, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता या सामाजिक कार्यों में लगे अधिवक्ता को बनाया जाता है।
‘मेंटेनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर एक्ट 2007’ की धारा सात के तहत इस अधिनियम के लागू होने के बाद छह माह के भीतर प्रत्येक उप मंडल में ट्रिब्यूनल गठित करना अनिवार्य था।
‘एक साल से नहीं हुए अंतरिम मेंटनेंस के आदेश’
एडवोकेट महावीर सिंह लोहान ने बताया कि उन्होंने करीब एक साल पहले एक बुजुर्ग की मेंटनेंस की याचिका ट्रिब्यूनल में दायर की थी। मामले में समन हो चुके हैं, लेकिन ट्रिब्यूनल का कोरम पूरा न होने के कारण अंतरिम मेंटनेंस के आदेश भी नहीं हो पाये हैं।
दो सदस्यों के नाम भेजे, नोटिफिकेशन का इंतजार : एसडीएम
सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल की चेयरपर्सन एसडीएम ज्योति मित्तल ने बताया कि ट्रिब्यूनल के दो सदस्यों के नाम प्रशासन की तरफ से सरकार को भेजे जा चुके हैं। सरकार के नोटिफिकेशन के बाद ट्रिब्यूनल का कोरम पूरा हो पाएगा और वरिष्ठ नागरिकों के लंबित मामलों पर निर्णय हो सकेगा।
मामले के बारे में हिसार के उपायुक्त अनिश यादव से संपर्क किया गया और टेक्स्ट मैसेज भी भेजा गया, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई बात नहीं की।