कैसे बने विजेता खिलाड़ियों का देश
06:42 AM Aug 26, 2024 IST
भारत एक विशाल युवा जनशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, फिर भी ओलंपिक पदक तालिका में इतना नीचे क्यों है? यूक्रेन जैसे छोटे से देश ने लगभग ढाई वर्षों की युद्ध स्थिति के बावजूद अच्छे पदक जीते हैं। इससे हमें सीखना चाहिए कि युद्ध के बावजूद खिलाड़ियों ने हौसला नहीं खोया और निरंतर अभ्यास करते रहे। भारत में खिलाड़ियों की कमी नहीं है; कमी है तो केवल प्रतिभा और क्षमता के अनुसार खिलाड़ियों के चयन करने की। हमें खिलाड़ियों का चयन उनकी प्रतिभा और क्षमता के अनुसार करना चाहिए ताकि पदकों की संख्या में वृद्धि हो सके।
सतपाल, कुरुक्षेत्र
टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम भारत को खेल शक्ति बनाने का गंभीर प्रयास है। इसके साथ-साथ, हमें बड़े शहरों के बाहर विश्वस्तरीय प्रशिक्षण सुविधाएं विकसित करने, अनुभवी सपोर्ट स्टाफ उपलब्ध कराने, खिलाड़ियों को अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने में मदद करने की जरूरत है। वहीं ओलंपिक में केवल भाग लेने या तीसरे-चौथे स्थान को स्वर्ण पदक मानने वाली मानसिकता को बदलने की जरूरत है। खेल संघों में खिलाड़ियों का वर्चस्व बढ़ाने और खेलों को राजनीति से मुक्त रखने के लिए खेल संघों के पदों को लाभ का पद घोषित किया जाना चाहिए।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.
जब पदक तालिका पर नजर डालते हैं और भारत का नाम बहुत नीचे पाते हैं, तो यह दिल को बहुत कचोटता है। एक बड़े देश के पदक इतनी सीमित संख्या में हैं। हमारे देश की खेल नीति में बड़े बदलाव की जरूरत है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खेल संगठनों को राजनीतिक दखलअंदाजी से पूरी तरह दूर रखा जाए, क्योंकि यह खेलों की संभावना को दूषित कर देता है। खिलाड़ियों के चयन में पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता होनी चाहिए। सभी खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। इन सुधारों से भारत का ओलंपिक स्थान ऊंचा हो सकता है।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी पेरिस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने अपेक्षित पदक नहीं जीते, लेकिन प्रदर्शन सकारात्मक था; छह खिलाड़ी चौथे स्थान पर रहे। यह जानना जरूरी है कि अहम मौकों पर वे क्यों चूक गए। मानसिक दबाव भी एक कारण हो सकता है, जिससे बचने के लिए मनोचिकित्सक की मदद ली जानी चाहिए। पदक तालिका में सुधार के लिए खिलाड़ियों की प्रतिभा को सही दिशा में तराशने की आवश्यकता है। स्कूलों में बच्चों को खेलों के लिए तैयार किया जाना चाहिए, उनकी प्रतिभा पहचान कर उचित खेलों का अभ्यास कराया जाना चाहिए। विश्वस्तरीय कोच और सुविधाओं की जरूरत है, और खेल संघों की अध्यक्षता खिलाड़ियों को सौंपनी चाहिए।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली पेरिस ओलंपिक में भारत का 71वें स्थान पर आना निराशाजनक खेल स्थिति का संकेत है। यदि भारत को खिलाड़ियों का प्रमुख देश और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अग्रणी बनाना है, तो खेल संघों को राजनेताओं के चंगुल से निकालकर अनुभवी, दूरदर्शी पूर्व खिलाड़ियों के हाथों में सौंपना आवश्यक है। अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों से सीखें, नई खेल तकनीक अपनाएं। प्रतिभावान खिलाड़ियों का चयन बचपन में ही निष्पक्षता से करें। उन्हें अनुभवी कोचिंग और उचित सुविधाएं दें, और मनोवैज्ञानिक मदद प्रदान करें। खेल ढांचे में सुधार किया जाना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
क्षमताओं का उपयोग हो
सतपाल, कुरुक्षेत्र
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नयी खेल संस्कृति जरूरी
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.
व्यापक सुधार हो
भारत को विजेता खिलाड़ियों का देश बनाने के लिए व्यापक सुधार की आवश्यकता है। सबसे पहले, खेल संघों को राजनीतिक दखलअंदाजी से मुक्त करना होगा। खेल संघों की जिम्मेदारी अनुभवी पूर्व खिलाड़ियों को सौंपनी चाहिए ताकि निर्णय निष्पक्ष और खेल-केंद्रित हों। दूसरा, खिलाड़ियों के चयन और प्रशिक्षण में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी। स्कूलों और अकादमियों में खेलों के प्रति समर्पण और प्रतिभा की पहचान से उन्हें उचित मार्गदर्शन और प्रशिक्षण मिलना चाहिए। तीसरा, विश्वस्तरीय सुविधाएं और कोचिंग प्रदान की जानी चाहिए। मनोवैज्ञानिक सहायता भी महत्वपूर्ण है। इन उपायों के माध्यम से, भारत अपने खेल ढांचे को सशक्त कर ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
मुकेश भट्ट, लुधियाना
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पारदर्शिता और निष्पक्षता
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी
प्रतिभा विकसित करें
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
पुरस्कृत पत्र
खेल ढांचे में सुधार
शामलाल कौशल, रोहतक
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