अजा वर्ग के कितने अधिकारी, कर्मचारियों को मिली प्रमोशन
चंडीगढ़, 30 नवंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा विधानसभा की कमेटी अनुसूचित जाति के अधिकारियों व कर्मचारियों की प्रमोशन के मुद्दे पर काफी गंभीर है। तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण की सुविधा पहले से है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की घोषणा के बाद सरकार ने ग्रुप-ए और बी यानी क्लास-वन और टू के अधिकारियों को भी प्रमोशन में 20 प्रतिशत आरक्षण के नियम लागू किए थे।
कमेटी ने इस संदर्भ में पूरा रिकार्ड मांगा है कि अभी तक एससी वर्ग के कितने अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ मिला है। प्रमोशन में आरक्षण की मॉनिटरिंग कर रही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण कमेटी ने पूछा है कि 17 अगस्त से 7 अक्तूबर तक प्रदेश में कितने अजा कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया गया है।
विधानसभा समिति द्वारा रिकार्ड तलब किए जाने के बाद मानव संसाधन विभाग ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशक, मंडलायुक्त, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, उपायुक्तों और सभी विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार से यह जानकारी तलब की है। विधानसभा की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के कल्याण संबंधी समिति 18 अक्तूबर, 2013 से पदोन्नति में आरक्षण की पैरवी कर रही है। मुख्य सचिव संजीव कौशल ने विगत 17 अगस्त को सभी विभागों को अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के संबंध में डेटा/जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश जारी कर दिए थे। इसके बाद सात अक्तूबर को सरकार ने सभी विभागों, बोर्ड-निगमों और वैधानिक निकायों में पदोन्नति में आरक्षण का नियम लागू कर दिया। अब समिति जानना चाहती है कि अभी तक कितने कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया गया है। अहम बात यह है कि सरकार द्वारा पदोन्नति में दिए जाने वाले आरक्षण के खिलाफ याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहले ही राहत दे चुका है। हाईकोर्ट ने पुलिस निरीक्षक से डीएसपी की पदोन्नति के लिए डीपीसी की बैठक पर लगी रोक हटाते मामले की सुनवाई 29 जनवरी तक स्थगित कर दी है। पदोन्नति में आरक्षण देने के खिलाफ कुछ पुलिस निरीक्षकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि एससी और एसटी के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का निर्धारण करने के लिए संख्यात्मक डेटा का संग्रह पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है।