जय श्रीराम का नारा लगाना अपराध कैसे : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूछा कि ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाना कैसे आपराधिक कृत्य है। न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इस याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मस्जिद के अंदर कथित तौर पर जय श्रीराम का नारा लगाने के लिए दो व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही 13 सितंबर को रद्द कर दी गई थी। शिकायतकर्ता हैदर अली सी एम द्वारा दायर याचिका पर पीठ ने पूछा, “वे एक विशेष धार्मिक नारा लगा रहे थे या नाम ले रहे थे। यह अपराध कैसे है?” सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता से यह भी पूछा कि मस्जिद के अंदर आकर कथित तौर पर नारे लगाने वाले व्यक्तियों की पहचान कैसे की गई। पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत से पूछा, “आप इन प्रतिवादियों की पहचान कैसे करते हैं? आप कहते हैं कि वे सभी सीसीटीवी की निगरानी में हैं।” पीठ ने पूछा, “अंदर आने वाले व्यक्तियों की पहचान किसने की?” कामत ने कहा कि हाईकोर्ट ने कार्यवाही रद्द कर दी, जबकि मामले में जांच पूरी नहीं हुई थी। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने पाया कि आरोप आईपीसी की धारा 503 या धारा 447 के प्रावधानों से संबंधित नहीं है। आईपीसी की धारा 503 आपराधिक धमकी से संबंधित है, जबकि धारा 447 अनधिकार प्रवेश के लिए दंड से संबंधित है। जब पीठ ने पूछा, “क्या आप मस्जिद में प्रवेश करने वाले वास्तविक व्यक्तियों की पहचान कर पाए हैं?” तो कामत ने कहा कि राज्य पुलिस इसके बारे में बता पाएगी।