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मंत्रियों के घरों का किया घेराव, 25 जगह टोल फ्री

10:50 AM Oct 19, 2024 IST
होशियारपुर में विभिन्न किसान यूनियनों के कार्यकर्ता शुक्रवार को भंगाला के पास मुकेरियां में जालंधर-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाकर धरना देते हुए। -ट्रिब्यून फोटो

बरनाला/संगरूर, 18 अक्तूबर (निस)
पंजाब में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर आवाज उठाई है। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने बुधवार को प्रदेशभर के टोल प्लाजा को टोल फ्री करने की घोषणा की थी। इसके तहत किसानों ने करीब 25 टोल प्लाजा पर धरना देकर वाहनों को बिना पर्ची के निकाला। यह आंदोलन किसानों की मंडियों में धान की खरीद में आ रही समस्याओं के खिलाफ था, जो लिफ्टिंग की धीमी रफ्तार से और भी गंभीर हो गया है।
किसानों ने पहले ही ऐलान किया था कि वे मंत्रियों के घरों का घेराव करेंगे। इसी कड़ी में, शुक्रवार को किसानों ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और मौजूदा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के घर के सामने पक्का मोर्चा शुरू किया। इस दौरान, किसानों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए अपनी मांगें उठाईं। उनका आरोप है कि सरकार ने वादा किया था कि उनके धान का एक-एक दाना खरीदा जाएगा, लेकिन वास्तविकता इससे बहुत अलग है।
एक अक्तूबर से शुरू हुई धान की खरीद अब तक गति नहीं पकड़ पाई है, जिसका मुख्य कारण आढ़तियों, मजदूरों और शेलर मालिकों की हड़ताल है। हालांकि, हड़ताल के बाद धान की खरीद फिर से शुरू हो गई है, लेकिन उसकी गति अब भी सुस्त बनी हुई है। लिफ्टिंग में भी समस्याएं जारी हैं, जिससे किसानों में सरकार के प्रति रोष और बढ़ गया है। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के नेता सुखदेव सिंह भोतना, हरि सिंह, दर्शन सिंह चीमा, और जरनैल सिंह बदरा ने इस आंदोलन में भाग लिया।
संगरूर में प्रदर्शन
संगरूर में भी किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है। यहां भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने आप सरकार के मंत्रियों बरिंदर गोयल, अमन अरोड़ा, हरपाल सिंह चीमा और विधायक नरिंदर कौर भराज के कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान, किसानों ने मंत्रियों के घरों का घेराव करने की चेतावनी भी दी। इस मौके पर संगठन के नेता जोगिंदर सिंह उगरांहा ने कहा कि पिछले कई दिनों से किसान धान की फसल को लेकर मंडियों में चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पंजाब सरकार की खरीद एजेंसियां धान में नमी की मात्रा 22 प्रतिशत तक नहीं बढ़ाएंगी और दागी अनाज के प्रति अपनी शर्तें नरम नहीं करेंगी, तो किसान इस तानाशाही आदेश को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।

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