गृहस्थी के दायित्व
04:00 AM Mar 13, 2025 IST
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आद्रिक मुनि ने बसंतपुर के एक विद्वान की कन्या से इस शर्त पर विवाह किया कि जब तक पुत्र उत्पन्न न होगा तब तक वे गृहस्थ रहेंगे, बाद में संन्यास ले लेंगे। पुत्र उत्पन्न हुआ। माता ने अपने गुजारे के लिए सूत कातने का अभ्यास किया। एक दिन पुत्र ने माता के चरखे का सूत लेकर पिता की बीस परिक्रमा की और कच्चे सूत से बांध दिया। साथ ही कहा- मुझे स्वावलम्बी बनाने का कर्तव्य पालन किये बिना आप कहीं नहीं जा सकते। आद्रिक मुनि ने सूत के कच्चे धागे को कर्तव्य का प्रतीक माना और संन्यास की अपेक्षा कर्तव्य पालन को श्रेष्ठ मानकर उन्होंने वन जाने का विचार त्याग दिया।
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प्रस्तुति : अंजु अग्निहोत्री
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