For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

प्यासे पूर्वी राजस्थान में जगी उम्मीदें

07:03 AM Feb 06, 2024 IST
प्यासे पूर्वी राजस्थान में जगी उम्मीदें
Advertisement

डॉ. यश गोयल

Advertisement

लोकसभा चुनाव-2024 पर नजर रखते हुए, राजस्थान और मध्यप्रदेश ने हाल ही में ‘संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी’ (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के साथ मूल पीकेसी का एकीकरण) के कार्यान्वयन के लिए जलशक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। देश में नदियों को आपस में जोड़ने (आईएलआर) की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के साथ रेगिस्तानी राज्य ने नयी पहल की है।
पिछले पांच वर्षों से, राजस्थान की पूर्व कांग्रेस सरकार सार्वजनिक रूप से चिल्ला रही थी और 2019 में अपने चुनावी वादे के अनुसार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए पीएम को याद दिला रही थी। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे खुले तौर पर नजरअंदाज कर दिया था। विधानसभा चुनाव-2023 से पहले भी कांग्रेस ने बड़ी ईआरसी-यात्रा निकाली थी लेकिन जलशक्ति मंत्री समाधानों को अनदेखा करते रहे और यह एक राजनीतिक एजेंडा बन गया।
गहलोत सरकार ने अपने 2023-24 के बजट में ईआरसीपी को राज्य सरकार के खर्चे पर पूरा करने की योजना की घोषणा की थी। सबसे पहले बजट में 9000 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की और बाद में 5000 करोड़ रुपये और देने की घोषणा की गई। गहलोत हमेशा अपने हर भाषण में ईआरसीपी का जिक्र कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी से मांग करते रहे।
अब बीजेपी की डबल इंजन सरकार की नजर लोकसभा चुनाव-2024 पर है और इस प्रोजेक्ट के जरिए उसका लक्ष्य राजस्थान के तेरह जिलों की 9 लोकसभा सीटें जीतने का है। वर्ष 2024 में सत्ता में आने पर ईआरसीपी पर मोहर लगाने वाली मोदी सरकार की यह पहली बड़ी चुनावी ‘गारंटी’ होगी। इतना ही नहीं, एमपी सरकार ने कथित तौर पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी पारबती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना वापस ले ली है। जिस पर राजस्थान के सीएम भजन लाल ने उम्मीद जताई है कि इससे दोनों राज्य इस परियोजना को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे।
अब इस एमओयू से बीजेपी को दोनों राज्यों के 26 जिलों में किसानों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। राजस्थान के 13 जिले झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर इसमें शामिल हैं। यदि इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया तो 13 जिलों को ईआरसीपी से पीने और सिंचाई का पानी मिलेगा और 40,000 करोड़ रुपये से अधिक की इस परियोजना में बांधों के निर्माण के अलावा नहरें और पेयजल परियोजनाएं भी बनाई जाएंगी।
ईआरसीपी के नाम से मशहूर आईएलआर परियोजना में कुछ बदलाव करने के बाद केंद्र सरकार ने इसका नाम बदल दिया। इस संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी लिंक की डीपीआर की तैयारी पहले से ही प्रगति पर है। डीपीआर के नतीजे के आधार पर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसमें लिंक परियोजना के काम का दायरा, पानी का बंटवारा, पानी का आदान-प्रदान, लागत और लाभ का बंटवारा, कार्यान्वयन शामिल होगा। चम्बल बेसिन में जल प्रबंधन एवं नियंत्रण हेतु तंत्र एवं व्यवस्थाएं आदि।
जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दोनों राज्यों से अनुरोध किया कि वे संबंधित राज्यों द्वारा विभिन्न घटकों की डीपीआर को जल्द से जल्द अंतिम रूप दें ताकि लिंक परियोजना का कार्यान्वयन जल्द से जल्द शुरू किया जा सके।
राजस्थान में अपने कुछ संवादों में शेखावत ने कहा कि संयुक्त राज्य परियोजना पर 45000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और इसे पूरा होने में 5-6 साल लगेंगे। नई डीपीआर के साथ सिंचाई और पीने के लिए 2500 एमसीएम से अधिक पानी अगले 30 वर्षों के लिए पिछले अनुमानों से लगभग पांच गुना अधिक उपलब्ध होगा। मंत्री ने कहा कि आईएलआर परियोजना के तहत, केंद्र अपनी 90 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रदान करेगा और मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार दोनों 4000 करोड़ रुपये का योगदान देंगे।
मौजूदा विधानसभा सत्र के दौरान, विपक्षी कांग्रेस ने भाजपा शासन पर निशाना साधते हुए पूछा कि यह परियोजना अधर में क्यों लटकी हुई है। विपक्ष के नेता टीका राम जूली ने पूछा, ‘क्या यह परियोजना 50 प्रतिशत पानी पर निर्भर है या 75 प्रतिशत क्योंकि सिंचाई का पानी केवल 50 प्रतिशत ही उपलब्ध हो सकता है? अन्यथा यह सिर्फ एक पेयजल योजना होगी। विधानसभा में एमओयू की मुख्य प्रति भी पेश करें।’
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष, रामपाल जाट ने नए एमओयू पर संदेह व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि राजस्थान को पिछले डीपीआर-2017 में प्रस्तावित और जलशक्ति मंत्री के दावों के अनुसार पीने और सिंचाई के पानी का उचित हिस्सा नहीं मिलेगा। जब तक नया एमओयू कम से कम सार्वजनिक नहीं हो जाता तब तक भ्रम की स्थिति है।
डबल इंजन सरकार का चुनावी लाभ आखिरकार अब राजस्थान के 13 जिलों के मतदाता तय करेंगे। प्रश्न यही है कि एक-एक पानी की बूंद को तरसता पूर्वी-राजस्थान क्या मध्यप्रदेश के साथ ईआरसीपी समझौते से भाजपा राजस्थान में 9 लोकसभा सीटें जीत सकेगी? किसान के खेत की सिंचाई और जनता की प्यास की ये द्वि-राज्य समझौता निकट भविष्य पूर्ति कर पायेगा?

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×