ऑनर किलिंग : जस्सी को 25 साल बाद भी न्याय नहीं
जुपिंदरजीत सिंह/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 जून
जसविंदर कौर जस्सी की नृशंस हत्या को 25 साल बीत चुके हैं, लेकिन इंसाफ के लिए जंग अब भी अधूरी है। कनाडा में पंजाबी माता-पिता के घर जन्मी जस्सी 25 साल की थी, जब उसकी जिंदगी को खत्म कर दिया गया। आज, 25 साल और बीत चुके हैं, लेकिन न्याय मिलना अभी बाकी है।
जस्सी का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने प्यार और अपना जीवनसाथी चुना। उसने अपने प्रभावशाली परिवार के कड़े विरोध के बावजूद अपनी मां के पैतृक गांव के युवक सुखविंदर सिंह मिट्ठू से गुपचुप तरीके से शादी कर ली थी। सैकड़ों चिट्ठियों और फोन कॉल के जरिये उनका प्यार परवान चढ़ा था। जस्सी कनाडा से जगरांव के एक पीसीओ बूथ पर कॉल करती, जहां मिठू आधी रात तक इंतजार करता। अप्रैल 1999 में इस जोड़े ने गुपचुप शादी कर ली, लेकिन जब उनका राज उजागर हुआ तो उनकी खुशियां बिखर गईं। मार्च 2000 में, जस्सी, मिट्ठू के साथ रहने के लिए भारत भाग आयी, लेकिन उसे जेल में पाया। जस्सी के परिवार ने उसे अगवा करने का झूठा आरोप लगाया। जस्सी ने मिट्ठू की रिहाई के लिए अदालत में लड़ाई लड़ी, लेकिन कुछ ही महीनों बाद, 8 जून, 2000 को उनकी दुनिया खत्म हो गई। संगरूर के नारिके गांव में 12 सुपारी किलर्स ने उन पर घात लगाकर हमला किया। मिट्ठू को बेरहमी से पीटा गया और मरने के लिए छोड़ दिया गया। जस्सी का गला रेत दिया गया। उसके शरीर को क्षत-विक्षत कर पानी में फेंक दिया गया। शेष पेज 2 पर
प्यार की आज तक कीमत चुका रहा सुखविंदर सुखविंदर उर्फ मिट्ठू ने अपने प्यार के लिए अकल्पनीय कीमत चुकाई है। न्याय के लिए उसकी लड़ाई लगातार उत्पीड़न से प्रभावित रही है- बलात्कार से लेकर ड्रग तस्करी तक के छह झूठे आरोप। वह उन सभी में बरी हो गया। साल 2017 में, जस्टिस मेहताब सिंह गिल के नेतृत्व में एक आयोग ने उसके खिलाफ मनगढ़ंत मामलों को रद्द करने की सिफारिश की। इसके बाद भी उत्पीड़न खत्म नहीं हुआ। उस पर दो और मामले चल रहे हैं, एक ड्रग्स रखने का, जिसमें जमानत मिलने से पहले उसे तीन साल जेल में बिताने पड़े। पिछले महीने उसे फिर गिरफ्तार किया गया, ड्रग तस्करी के एक मामले में झूठा गवाह होने का आरोप लगाया गया। एक न्यायाधीश ने इस तरह के मुकदमों में उसकी बार-बार संलिप्तता को चिह्नित किया, जिससे उसकी विश्वसनीयता पर संदेह पैदा हो गया।
न ताकत, न पैसे, लेकिन अंत तक लड़ेंगे मिट्ठू की मां सुखदेव कौर ने कहा, ‘हमें सहना पड़ रहा है क्योंकि हमारे पास न तो ताकत है और न ही लड़ने के लिए पैसे। मुझे नहीं पता कि मैं जस्सी के हत्यारों को सजा मिलते देख पाऊंगी या नहीं, लेकिन हम हार मानने को तैयार नहीं हैं। धमकियां और उत्पीड़न जारी है, फिर भी हम दृढ़ हैं। न्याय भले ही धीमा हो, लेकिन हम अंत तक लड़ेंगे।’