मरीजों और तीमारदारों के ‘सारथियों’ का सम्मान
विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 5 मई
वे न डॉक्टर हैं, न नर्स और न ही किसी मरीज के परिजन- फिर भी हर सुबह अस्पताल की भीड़ में कुछ ऐसे चेहरे होते हैं, जो अजनबियों का हाथ थामकर उन्हें भरोसा, सहारा और रास्ता देते हैं। ये हैं पीजीआई के ‘सारथी'- वे युवा स्वयंसेवक जो सेवा को सिर्फ शब्द नहीं, जीवन का उद्देश्य मानते हैं। सोमवार को जब पीजीआई ने पहली बार ‘सारथी दिवस’ मनाया, तो तालियों की गूंज उन कदमों के लिए थी जो चुपचाप किसी की तकलीफ को कम करने में लगे रहते हैं।

-दैिनक टि्रब्यून
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने ‘सारथी परियोजना’ को देशभर के लिए आशा की किरण बताया। उन्होंने कहा कि जब युवा किसी अजनबी की पीड़ा को कम करने के लिए आगे आते हैं, तो वे सिर्फ इंसानियत का परिचय नहीं देते, बल्कि अपने जीवन का उद्देश्य भी खोज लेते हैं। ‘सारथी’ भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मानवीयता से जोड़ने वाला एक सुंदर प्रयास है।
राज्यपाल ने स्वामी विवेकानंद के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा, 'जीवन उनका है, जो दूसरों के लिए जीते हैं।' उन्होंने कहा कि पीजीआई के नेतृत्व और एनएसएस स्वयंसेवकों की प्रतिबद्धता से प्रेरित यह पहल अब तक 400 से अधिक अस्पतालों तक पहुंच चुकी है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह पंजाब और राजस्थान के उदयपुर से निकलकर पूरे देश में फैलेगी- वहां तक जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
छोटे विचार से आ रहा बड़ा बदलाव
पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि यह योजना कुछ साल पहले एक छोटे से प्रयास के रूप में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य मरीजों को अस्पताल में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करना था। लेकिन अब यह एक सशक्त जनांदोलन का रूप ले चुकी है, जिसने न केवल हजारों मरीजों की पीड़ा को कम किया है, बल्कि युवाओं के भीतर सेवा की भावना को भी प्रज्वलित किया है।
राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन रही योजना
पीजीआई के उपनिदेशक (प्रशासन) पंकज राय ने ‘सारथी परियोजना’ की प्रेरणादायक यात्रा साझा की। उन्होंने कहा कि यह पहल केवल एक हेल्प डेस्क तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह युवाओं को स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण से जोड़ने का एक सशक्त मंच बन चुकी है। यह योजना अब देश के 442 अस्पतालों में लागू हो चुकी है और इसका उद्देश्य सेवा, संवेदना और मानवता को स्वास्थ्य तंत्र का अभिन्न हिस्सा बनाना है।
मानसी ने श्रोताओं को किया भावुक
पीजीजीसी सेक्टर-11 की एनएसएस स्वयंसेवक मानसी शर्मा ने मंच से अपने अनुभव साझा किए, जो श्रोताओं को गहरे रूप से प्रभावित कर गए। उन्होंने कहा, 'हमने ‘सारथी परियोजना’ के जरिए सीखा है कि सेवा का अर्थ केवल रास्ता दिखाना या फॉर्म भरना नहीं, बल्कि किसी की गरिमा लौटाना और उसे आशा देना है। सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और मानवता से बड़ा कोई कर्म नहीं।'
22 स्वयंसेवकों को किया सम्मानित
इस अवसर पर पीजीजीसी सेक्टर-11 और एमसीएम डीएवी कॉलेज फॉर वुमेन सेक्टर-36 के कुल 22 एनएसएस स्वयंसेवकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही, 13 शैक्षणिक संस्थानों को भी उनके योगदान के लिए प्रशंसा पत्र प्रदान किए गए।
सेवा से बदलेगी तस्वीर
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट प्रो. विपिन कौशल ने कहा कि यह दिवस इस बात का प्रमाण है कि अगर युवा समाजसेवा से जुड़ें और संस्थान उन्हें उचित मंच प्रदान करें, तो स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी तस्वीर बदली जा सकती है।
महामहिम थक जाएंगे…
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने हंसी-मजाक में कहा, 'आपने शायद इतने कम छात्रों को इसलिए बुलाया कि महामहिम थक न जाएं, पर मैं अध्यापक रहा हूं। मुझे पता है कब क्या करना होता है, मेरे पास समय की कोई कमी नहीं है। सभी बच्चों को बुलाइए, मैं सबको सम्मानित करूंगा और उनके साथ फोटो भी खिंचवाऊंगा।'