For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

घर-बार और बाज़ार

07:54 AM Mar 11, 2024 IST
घर बार और बाज़ार
Advertisement

वाणभट्ट

Advertisement

टहलने के बाद और श्रीमती जी के उठने से पहले, मैं चाय बनाने की प्रक्रिया में लगा हुआ था। यही समय है जब कमल, मेरा अख़बार वाला, अख़बार डालता है। यदि कमल ने पेपर नहीं डाला तो जरूर कोई एमरजेंसी होगी या वो शहर के बाहर गया होगा। अख़बार गिरने की आवाज़ सुन कर मैं बाहर निकल आया। सनडे था, इसलिये रविवारीय परिशिष्ट आना तय था। ख़बरों से ज्यादा मुझे परिशिष्टों का इंतज़ार रहता है। अखबारों में विज्ञापनों की भरमार से याद आया कि दीपावली करीब है, इसलिये बाज़ार घर में घुसने के लिये बेताब हो रहा है। अपनी पुरानी कार, मोटरसाइकिल, टीवी, वॉशिंग मशीन, मिक्सी आदि को बदलने के बारे में सोच कर मैं डिप्रेशन की कगार तक पहुंचने वाला था कि धर्मपत्नी जी कुछ घर के बाहर के काम लेकर आ गयीं। मैं यथाशीघ्र अख़बार को टेबल के नीचे छिपा कर बाहर निकल लिया।
एक-आध घंटे बाद जब मैं वापस लौटा तो घर का दृश्य देखने लायक था। मां-बेटी सेंटर टेबल हटा कर पूरा अख़बार जमीन पर फैलाये बैठी थीं। जिस पेज को देखकर उनकी आंखें चमक रही थीं, वो इस बात का एेलान कर रहा था कि उन्हें बेडशीट्स से लेकर पर्दों से लेकर सोफ़ा कवर और कुशंस बदलने की प्रेरणा मिल चुकी है। उन्हें मालूम था कि कार और टीवी बदलने की मांग ख़ारिज हो जायेगी। हमें तो सिर्फ इंस्ट्रक्शन मानना होता है। किसी ने सही कहा है, अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार, घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तिहार।
खैर, जाना ही था। मॉल में गए। मैं एक कोने में खड़ा हो गया। उम्मीद थी कि दो घंटे तो इन्हें लग ही जायेंगे। तब तक मोबाइल पर एक ब्लॉग लिखने की गुंजाइश बनती दिख रही थी। ब्लॉग लिखना शुद्ध क्रिएटिव काम है। कोना देख के मैं उसमें रम गया। तकरीबन दो घंटे बाद दोनों लोग दिखाई दिये, दो ट्रॉली लिये। मेरा ब्लॉग ख़त्म होने को था लेकिन ख़त्म हुआ नहीं था। मोबाइल देना सम्भव नहीं था। सो उनके हाथ में एटीएम कार्ड देकर मैं उपसंहार की प्रस्तावना बनाने लगा। इसी उधेड़बुन में एक घंटा कब निकल गया, मुझे पता नहीं चला। ब्लॉग ख़त्म करके जब मैं काउंटर की ओर पहुंचा। हर काउंटर पर लम्बी-लम्बी कतारें लगी थीं। मुझे लगा कि ये पन्द्रह मिनट और मिल जाते तो मैं बाज़ार और इश्तिहार से पीड़ित कहानी के मुख्य पात्र की व्यथा के साथ उचित न्याय कर पाता।
साभार : वाणभट्ट डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

Advertisement
Advertisement
Advertisement