Holi Pauranik Kathayen : होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते मांगलिक कार्य? आप भी नहीं जानते होंगे ये कहानी
चंडीगढ़, 6 मार्च (ट्रिन्यू)
Holi Pauranik Kathayen : होलाष्टक का समय होली के त्योहार से ठीक 8 दिन पहले शुरू होता है। इसे शुभ कामों को टालने का समय माना जाता है। हिंदू धर्म में इसके पीछे एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक कहानी है। चलिए बताते हैं कि आखिर क्यों होलाष्टक में शुभ व मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है...
राक्षस होलिका से जुड़ी कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, होलाष्टक में शुभ काम ना करने की कहानी होलिका दहन से जुड़ी हुई है। राक्षसी होलिका के पास एक वरदान था, जिसके अनुसार वह अग्नि में नहीं जल सकती थी। एक दिन राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को यह आदेश दिया कि वह अपने भतीजे प्रह्लाद को अग्नि में जलाकर मार डाले। दरअसल, प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे और हिरण्यकश्यप उनसे बेहद नफरत करते थे।
जलकर राख हुई होलिका
होलिका ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए प्रह्लाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठने का फैसला किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से वह बच गए। वहीं होलिका जलकर राख हो गई। इस घटना से साबित हो गया कि जो किसी के साथ बुरा करने का प्रयास करता है, उसे दंड मिलता है। इस कथा के आधार पर यह मान्यता बनी कि होली के 8 दिन पहले का समय अशुभ होता है।
क्यों नहीं होते इस दौरान शुभ काम
यह समय होलिका के जलने और बुराई के नष्ट होने का होता है। वहीं, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को ही बंदी बनाया था। इसके बाद 8 दिनों तक हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने के लिए यातनाएं दी। यातनाओं से भरे उन 8 दिनों को ही अशुभ माना जाने लगा। ऐसा कहा जाता है कि प्रह्लाद को मिली यातनाओं के बाद से ही होलाष्टक को मनाने का चलन शुरु हो गया।
होलाष्टक में नहीं किए जाते ये शुभ काम
इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ, तंत्र-मंत्र या अन्य कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते। लोग इस समय को आंतरिक शांति और संयम का समय मानते हैं। इस अवधि को धार्मिक दृष्टि से शांति और साधना का समय माना जाता है, ताकि लोग होली के पर्व का उल्लास और रंग-गुलाल अच्छे तरीके से मना सकें।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।