मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Holi Pauranik Katha : श्रीकृष्ण को सबक सिखाने के लिए राधा ने उठाई थी लाठी... बरसाना में ऐसे शुरु हुई लट्ठमार होली की परंपरा

10:00 PM Mar 13, 2025 IST

चंडीगढ़, 13 मार्च (ट्रिन्यू)

Advertisement

Holi Pauranik Katha : लट्ठमार होली भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वृंदावन क्षेत्र में स्थित बरसाना और नंदगांव गांवों में मनाई जाती है। यह होली का एक अनूठा और दिलचस्प रूप है, जो आमतौर पर बाकी जगहों पर मनाए जाने वाली होली से काफी अलग होता है। लट्ठमार होली की परंपरा बहुत पुरानी है। इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है।

लट्ठमार होली एक अद्वितीय और ऐतिहासिक परंपरा है, जो न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखती है, बल्कि धार्मिक आस्था व खुशी के साथ इसे मनाया जाता है। यह होली के पारंपरिक रूप से बिल्कुल अलग है। इसमें भाग लेने वाले लोग इसे अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाते हैं। इस खेल का उद्देश्य न केवल मस्ती और मनोरंजन है, बल्कि यह भगवान श्री कृष्ण और राधा के बीच के प्रेम के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

Advertisement

लट्ठमार होली की शुरुआत

लट्ठमार होली की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण और उनकी प्रेमिका राधा से जुड़ी एक लोककथा से मानी जाती है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण राधा के साथ होली खेलने बरसाना पहुंचे थे, जहां उनके रिश्तेदारों ने खेल में हिस्सा लेने से पहले चुनौती दी। राधा और उनके साथी कृष्ण को लाठी से मारने लगे और इसी तरह की एक मस्तीभरी चुनौती की शुरुआत हुई। इस परंपरा ने बाद में होली के समय लट्ठमार होली का रूप ले लिया।

इसलिए कहा जाता है लट्ठमार होली

बरसाना को राधा का जन्मस्थान माना जाता है। यहां महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं। इसके जवाब में नंदगांव के पुरुष लाठियों से खुद की रक्षा करते हैं। चूंकि इस खेल में महिलाएं नंदगांव के पुरुषों को अपनी लाठियों से मारती हैं और पुरुष केवल अपनी रक्षा करते हैं। यही वजह है कि इसे ‘लट्ठमार होली’ कहा जाता है। यह खेल न केवल धार्मिक है बल्कि एक सामाजिक उत्सव भी है, जिसमें लोग आपस में एकजुट होकर होली के उल्लास का आनंद लेते हैं।

लट्ठमार होली में क्या खास होता है?

लट्ठमार होली का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह होली श्री कृष्ण और राधा की प्रेमलीला से जुड़ी हुई है। इसे प्रेम, भक्ति और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। यहां के लोग इसे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाते हैं। इस खास होली के दौरान काफी धूमधाम और खुशी होती है। ढोल और मंजीरे की धुन पर महिलाएं और पुरुष साथ में नृत्य करते हैं। भांग, ठंडाई, और अन्य पारंपरिक पेय पदार्थों का सेवन किया जाता है, जिससे उत्सव का आनंद दोगुना हो जाता है।

लट्ठमार होली में भाग लेने वाले लोग अक्सर बहुत बड़ी संख्या में होते हैं। महिलाएं और पुरुष दोनों मिलकर इस खास दिन का आनंद लेते हैं। इसकी खासियत यह है कि इसमें मजाकिया संघर्ष, उत्साह और खुशी का मिश्रण होता है। इस दिन बरसाना और नंदगांव की गलियों में रंगों की बौछार होती है। लोग एक-दूसरे पर गुलाल, अबीर और रंग डालते हैं, जिससे माहौल और भी खुशनुमा हो जाता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

Advertisement
Tags :
Barsana HoliBarsana Lathmar HoliDainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newsDharma AasthaHindi NewsHindu DharmHindu MythologyHindu ReligionHindu ReligiousHoli Pauranik Kathalatest newsLathmar HoliLord KrishnaPauranik KahaniyanPauranik KathaPauranik KathayenShree KrishnaShree Radha Raniदैनिक ट्रिब्यून न्यूजपौराणिक कथाहिंदी समाचार