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Holi Pauranik Kahaniyan : जब श्री कृष्ण के ना आने पर उदास हो गई थी राधा, मुरझा गए थे सभी फूल, फिर ऐसे हुई फूलों वाली होली की शुरुआत

07:05 PM Mar 05, 2025 IST

चंडीगढ़, 5 मार्च (ट्रिन्यू)

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Holi Pauranik Kahaniyan : होली का त्यौहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है, जो पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। मगर बरसाना, मथुरा, वृंदावन, आगरा में रंगों की बजाए फूलों की होली खेली जाती है। यह एक अलग प्रकार की होली है, जिसमें रंगों के बजाए फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी शुरुआत हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति से जुड़ी है।

फूलों की होली की शुरुआत संभवत

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फूलों की होली खेलने की शुरुआत उत्तर भारत के कुछ विशेष क्षेत्रों से हुई। खासकर उत्तर प्रदेश और राजस्थान में, जहां लोग होली के दिन पारंपरिक रूप से रंगों की बजाए फूलों का उपयोग करते थे। यह परंपरा धीरे-धीरे अन्य हिस्सों में भी फैलने लगी। होली के दिन जब लोग एक-दूसरे पर रंग फेंकते हैं तब फूलों का इस्तेमाल करने से यह परंपरा और भी खास बन जाती है।

कैसे शुरु हुई फूलों की होली

माना जाता है कि श्रीकृष्ण और राधा रानी वृंदावन में फूलों से खेला करते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण राधा रानी से मिलने के लिए नहीं जा सके, जिससे वह उदास हो गई। उनकी उदासी से फूल व जंगल भी सूखने लगे। हर तरफ पतझड़ हो गई। जब श्रीकृष्ण को इस बात का पता चला तो वह तुरंत राधा-रानी से मिलने पहुंच गए।

श्रीकृष्ण को सामने देखते हुए राधा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और जंगल हरा-भरा हो गया। मुरझाए फूल फिर से खिलने लगे और चारों ओर हरियाली छा गई। कान्हा ने तब राधा रानी के साथ खिले हुए फूलों से होली खेली, जिसके बाद यह प्रचल शुरु हुआ।

श्रीकृष्ण और फूलों की होली

वहीं, श्रीकृष्ण का संबंध होली से विशेष रूप से गोकुल के समय से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण और उनकी प्रिय गोपियां गोकुल में होली खेलते थे। इस होली में रंगों के बजाए फूलों का इस्तेमाल होता था।

गोपियां और श्रीकृष्ण का प्रेम

होली का पर्व श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच प्रेम, सम्मान और आपसी सामंजस्य का प्रतीक था। यह पर्व भावनाओं और रिश्तों को भी महत्वपूर्ण बनाता है। कहा जाता है कि श्री कृष्ण और राधा के प्रेम की याद में यहां के लोग फूलों के साथ होली खेलते हैं। फूलों की होली में, विभिन्न प्रकार के फूल जैसे गुलाब, चमेली, गेंदे और अन्य रंग-बिरंगे फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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