Holi Pauranik Kahaniyan : श्रीकृष्ण-राधा ने नहीं तो फिर किसने मनाया था सबसे पहले होली का त्यौहार, आप भी नहीं जानते होंगे ये कथा
चंडीगढ़, 4 मार्च (ट्रिन्यू)
Holi Pauranik Kahaniyan : रंगों का त्यौहार होली हिंदू धर्म में बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता है। श्रीकृष्ण और राधा रानी से जुड़ा यह त्यौहार भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है होली का त्यौहार सबसे पहले भगवान शिव व माता पार्वती ने मनाया था। चलिए बताते हैं इससे जुड़ी कथा।
कुमारसंभवम् में महान कवि कालिदास ने वर्णन करते हुए कहा कि माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव ने खुद को संसार के सभी सुखों से विलिन कर लिया था और वह तपस्या में लग गए थे। मगर, माता सती ने दवी पार्वती के रूप में दोबारा धरती पर जन्म लिया। देवी पार्वती भगवान शिव से प्रेम करती थीं, लेकिन वह ध्यान और तपस्या में लीन रहते थे। देवी पार्वती जी उनके साथ जीवन बिताने की इच्छा रखती थीं। तब देवी पार्वती ने कामदेव, जो प्रेम के देवता माने जाते हैं से मदद मांगी।
कामदेव ने भगवान शिव पर प्रेम बाण का प्रहार किया, जिससे उनके ध्यान में विघ्न उत्पन्न हुआ। जैसे ही उन्हें बाण लगा, वे क्रोधित हो गए और अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनकी तीसरी आंख से जो अग्नि निकली, उसने कामदेव को भस्म कर दिया। यह देख पार्वती जी दुखी हो गईं और भगवान शिव से कहा कि आप बहुत कठोर हो गए हैं। आप प्यार और कोमलता के प्रतीक बनिए, ना कि क्रोध और विनाश के। तब भगवान शिव ने पार्वती जी के समक्ष अपनी गलती को स्वीकार किया।
इसके बाद उन्होंने कामदेव को पुनः जीवित करने का वचन लिया। भगवान शिव ने कामदेव को जीवन का वरदान दिया और कहा कि वे अब प्रेम और आकर्षण के देवता के रूप में पूजे जाएंगे। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती का प्रेम परस्पर गहरा हुआ और वे एक दूसरे के साथ प्रेमपूर्ण जीवन जीने लगे। यह घटना होली के दिन घटी थी।
यही वजह है कि होली का त्यौहार रंगों, प्रेम और सद्भावना का प्रतीक माना जाता है। यह त्यौहार इस बात का संदेश भी देता है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, प्रेम और सद्भाव से सब कुछ संभव हो सकता है। होली के दिन हम अपने पुराने द्वेष और शत्रुता को नष्ट कर नए रिश्ते और प्रेम की शुरुआत करते हैं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।