Holi Lunar Eclipse : क्या भारत में दिखाई देगा होली पर लगने वाला चंद्र ग्रहण? यहां जानिए पूरी डिटेल
चंडीगढ़, 10 मार्च (ट्रिन्यू)
Holi Lunar Eclipse : साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च, शुक्रवार के दिन होली पर लगने जा रहा है। होली पर चंद्र ग्रहण का घटना एक दुर्लभ खगोलीय स्थिति है, जो 2025 में होने जा रही है। यह विशेष चंद्र ग्रहण भारत सहित अन्य देशों में भी देखा जा सकेगा। इस अवसर पर रंगों की खुशी के बीच चंद्रमा की यह अद्भुत घटना, लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है।
चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इससे चंद्रमा का कुछ हिस्सा या पूरी तरह से अंधेरा हो जाता है। चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन ही होता है, क्योंकि तभी चंद्रमा और सूर्य एक-दूसरे के विपरीत दिशा में होते हैं। ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल, गुलाबी या भूरा हो सकता है, जो उसे 'ब्लड मून' (Blood Moon) के नाम से भी जाना जाता है।
क्या भारत में देगा दिखाई ?
यह ग्रहण यूरोप, उत्तरी-दक्षिण अमेरिका, आंशिक ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव, प्रशांत व अटलांटिक महासागर सहित एशिया-अफ्रीका में साफतौर पर देखा जाएगा लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा।
चंद्र ग्रहण का समय
ज्योतिष के मुताबिक, चंद्रग्रहण 14 मार्च को सुबह 9:27 मिनट से दोपहर 3:30 मिनट तक दिखेगा, जिसकी कुल अवधि 6 घंटे 3 मिनट तक की होगी।
क्या मान्य होगा सूतक काल
चूंकि साल का यह पहला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। बता दें कि 14 मार्च को भी पूर्णिमा तिथि रहेगी इसलिए ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा। बता दें कि जिस देश में ग्रहण दिखाई नहीं देता उस देश में धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से सूतक काल भी नहीं माना जाता।
होली और चंद्र ग्रहण का संयोग
होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है, जो रंगों, प्रेम, और भाईचारे का प्रतीक है। यह विशेष रूप से फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का उत्सव रंगों से खेलना, पकवानों का आनंद लेना और रिश्तों को मजबूत करना है। वहीं, चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो पुरानी मान्यताओं और आस्थाओं से जुड़ी हुई होती है। कुछ लोग इसे नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानते हैं, जबकि अन्य इसे प्राकृतिक घटनाओं के रूप में स्वीकार करते हैं।
इस बार होली और चंद्र ग्रहण का संयोग होने से इसे लेकर कुछ विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। हिन्दू धर्म में ग्रहण के समय विशेष पूजा-अर्चना, उपवास, और ध्यान की परंपरा रही है। ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है।