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Holi 2025 : कहीं देवी का प्रकोप तो कहीं राजा का श्राप... होली के दिन भारत की इन जगहों पर नहीं उड़ता गुलाल

11:30 PM Mar 12, 2025 IST

चंडीगढ़, 12 मार्च (ट्रिन्यू)

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Holi 2025 : होली एक प्रमुख और पारंपरिक त्योहार है, जिसे पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। मगर, आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहां होली फेस्टिवल सेलिब्रेट नहीं किया जाता। चलिए हम आपको भारत की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताते हैं, जहां यह पर्व नहीं मनाया जाता।

मध्य प्रदेश - संत का श्राप

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मध्य प्रदेश के कूचीपुरा गांव में कई सदियों से होली का त्यौहार नहीं मनाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि एक संत ने इस गांव को श्राप दिया था कि अगर कोई परिवार होली का पर्व मनाएगा तो उन पर मुसीबतें आएंगी।

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में क्विली और कुरझान गांव में 150 सालों से होली नहीं मनाई गई। लोगों का मानना है कि उनकी देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर बिल्कुल पसंद नहीं है इसलिए वो यह त्यौहार नहीं मनाते।

तमिलनाडु का "धर्मपुरी" क्षेत्र - देवी की नाराजगी

धर्मपुरी क्षेत्र में भी होली के दिन गुलाल नहीं उड़ता। लोगों का कहना है कि बहुत समय पहले गांव के लोगों ने इसी दिन देवी की अवमानना कर दी थी इसलिए वो नाराज है। अगर वह होली का त्यौहार मनाएंगे तो उनपर देवी का प्रकोप बरसेगा।

गुजरात का रामसन गांव

रामसन में करीब 200 सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया। 200 साल पहले होलिका दहन के दौरान आग फैल गई थी। वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि इस गांव को कुछ संतों ने श्राप दिया है, जिसके कारण लोग होली सेलिब्रेट नहीं करते।

झारखंड के दुर्गापुर गांव

झारखंड के दुर्गापुर गांव में होली के दिन राजा और रानी का निधन हो गया था, जिनके शोक में यह पर्व सेलिब्रेट नहीं किया जाता।

नागालैंड, मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश

इन राज्यों में होली का प्रचलन कम है, क्योंकि यहां ईसाई धर्म के लोग ज्यादा हैं। ईसाई धर्म के अनुयायी अधिकतर क्रिसमस और ईस्टर जैसे त्योहारों में शामिल होते हैं। होली का कोई विशेष महत्व नहीं है और रंगों का खेल यहां बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता।

यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारत का हर क्षेत्र और समुदाय अपनी संस्कृति, परंपराओं और विश्वासों के अनुसार त्योहारों का पालन करता है, और इसलिए होली के उत्सव में विविधता हो सकती है।

डिस्केलमनर : यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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