बलराम बंसल/निसहोडल, 30 नवंबरहोडल का ऐतिहासिक महाभारतकालीन पांडव मंदिर अपनी उपेक्षा के कारण जर्जर होता जा रहा है। सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग उठाई है। माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान होडल में निवास किया था। इस दौरान उन्होंने पूजा-अर्चना के लिए एक मंदिर, स्नान के लिए तालाब, और एक सुरंग का निर्माण किया। यह सुरंग और अन्य अवशेष आज भी मंदिर परिसर में मौजूद हैं।हरियाणा सरकार ने ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के तहत इस मंदिर के जीर्णोद्धार की योजना बनाई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पानी के अभाव में मंदिर का तालाब सूख चुका है, और संरचना जर्जर हो रही है।सरकार से नहीं मिल रही सहायतामंदिर की देखरेख के लिए बनाई गई कमेटी और सामाजिक संगठनों ने कई बार स्थानीय सांसदों, विधायकों, और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली। मंदिर की वर्तमान स्थिति इसे इतिहास के धुंधले पन्नों में विलीन करने की चेतावनी दे रही है। होडल के सामाजिक संगठनों ने सरकार से इस मंदिर का पुनर्निर्माण और संरक्षण सुनिश्चित करने की अपील की है। उनका कहना है कि यह धरोहर न केवल सांस्कृतिक महत्व रखती है बल्कि क्षेत्र के पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकती है।