हकृवि की टीम ने 40 से अधिक गांवों में किया सर्वें
हिसार, 23 जुलाई (हप्र)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी, उखेड़ा तथा जड़ गलन आदि अनेक कीटों और रोगों की समस्या के निवारण हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कृषि विभाग के अधिकारियों एवं फील्ड स्टाफ को नवीन एवं स्टीक वैज्ञानिक तरीकों से अवगत करवाया गया। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज मुख्यातिथि रहे।
प्रो. काम्बोज ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए बताया कि आने वाले दो महीने कपास की फसल की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि गुलाबी सुंडी के प्रकोप को लेकर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी सजगता से अपना कार्य कर रहे हैं। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय की टीम द्वारा जिले के 40 से अधिक गांवों में सर्वे किया जा चुका है। किसानों को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा की जाने वाली सिफारिशों के अनुसार कपास की फसल में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों को प्रयोग करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि कपास फसल में आने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों की रोकथाम को लेकर पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालय आपसी तालमेल के साथ सजगता से अपना कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कपास उत्पादन को बढ़ाने और कीट एवं रोग मुक्त करने के लिए विश्वविद्यालय, प्रदेश का कृषि विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केन्द्रीय कपास शोध संस्थान, (सीआईसीआर, सिरसा) और कपास से जुड़ी कंपनियों को संयुक्त रूप से एकजुट होकर कार्य करना होगा।
कपास अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. करमल सिंह मलिक ने कार्यशाला में आए हुए सभी अधिकारियों का स्वागत किया और कपास फसल में सस्य क्रियाओं की विस्तार से जानकारी दी। संयुक्त निदेशक कृषि (कपास) डॉ. आरपी सिहाग ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही कपास से जुड़ी परियोजनाओं के बारे में बताया।