मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Historical places: इतिहास, पौराणिक गाथाएं और पुरातात्विक धरोहरों का अनमोल खजाना है पिहोवा

12:22 PM Dec 20, 2024 IST

सुभाष पौलस्त्य/निस, 20 दिसंबर, पिहोवा

Advertisement

Pihowa Tirtha: पिहोवा, जिसे प्राचीन काल में पृथूदक के नाम से जाना जाता था, हरियाणा के ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थ स्थलों में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। सरस्वती नदी के तट पर स्थित यह स्थान अपने गर्भ में अनगिनत पौराणिक और ऐतिहासिक गाथाएं समेटे हुए है। पिहोवा के सरस्वती तीर्थ और इसके आस-पास खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिरों, मूर्तियों और शिलालेखों के अवशेष मिलते रहते हैं। ये अवशेष न केवल इस क्षेत्र की धार्मिक महत्ता को उजागर करते हैं, बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का भी प्रमाण देते हैं।

पुरातत्व का खजाना और अनदेखी का अफसोस

पिहोवा की भूमि में छुपी प्राचीन मूर्तियां और उनके अवशेष भारतीय इतिहास और संस्कृति के अद्वितीय साक्ष्य हैं। इतिहासकारों के अनुसार, यह मूर्तियां चौथी और पांचवीं शताब्दी की हैं। हालांकि, इन प्राचीन धरोहरों को समय के साथ उचित संरक्षण न मिलने के कारण इनमें से कई नष्ट हो गईं। कुछ धार्मिक और इतिहास प्रेमियों ने इन अवशेषों को एकत्र कर सुरक्षित रखने का प्रयास किया है।

Advertisement

नगर के पश्चिम में स्थित प्राचीन बाबा श्रवण नाथ मंदिर में कई ऐतिहासिक मूर्तियां रखी गई हैं। इनमें से एक घोड़े पर सवार पुरुष की मूर्ति है, जिसे सामान्यतः मंदिरों में नहीं पाया जाता। इसे सूर्य पुत्र रेवंत की मूर्ति माना गया है। यह बलुआ पत्थर से बनी मूर्ति खंडित है लेकिन इसकी सुंदरता और ऐतिहासिकता अद्वितीय है। मूर्ति में रेवंत को दक्षिणाभिमुख अश्व पर सवार दिखाया गया है। उनके दाहिने हाथ में घोड़े की लगाम और चसक (ठूठी) है। मूर्ति के साथ एक परिचारिका भी है, जिसके दाहिने कंधे पर कलश लटका हुआ है।

प्राचीन सूर्य मंदिर के अवशेष

युवा इतिहासकार विनोद पंचोली के अनुसार, पिहोवा में सरस्वती नदी के तट पर एक विशाल सूर्य मंदिर हुआ करता था। इस क्षेत्र से सूर्य, यम और रेवंत की अनेक मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। इन मूर्तियों में अलंकरण और कलात्मकता का अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है। सूर्य पुत्र रेवंत की मूर्ति के अलावा यहां से कई अन्य दुर्लभ मूर्तियां भी मिली हैं, जो भारतीय मूर्तिकला की उन्नति का प्रमाण हैं।

हनुमान जी और रामायण काल की मूर्तियां

बाबा श्रवण नाथ मंदिर में हनुमान जी की एक खंडित मूर्ति भी रखी गई है, जिसमें उन्हें अपने सीने को चीरकर श्री राम और सीता के दर्शन कराते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा, भगवान राम, लक्ष्मण और जटायु की मूर्तियां भी यहां मौजूद हैं। इन कलाकृतियों में उस समय की शिल्पकला का उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखाई देता है।

शिलालेख और अन्य अवशेष

पिहोवा के प्राचीन शिलालेख और पत्थरों पर उकेरी गई कलाकृतियां आज भी लाहौर म्यूजियम और पुरातत्व विभाग के संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। इनमें चौथी शताब्दी की एक चौखट विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिस पर खूबसूरत नक्काशी की गई है।

एक संग्रहालय की आवश्यकता

पिहोवा में मिलने वाले इन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए एक संग्रहालय की मांग लंबे समय से की जा रही है। इतिहासकार और स्थानीय निवासी मानते हैं कि इन दुर्लभ धरोहरों को संरक्षित करने और उन्हें जनसामान्य तक पहुंचाने के लिए संग्रहालय का निर्माण अत्यंत आवश्यक है।

सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण आवश्यक

पिहोवा का प्राचीन इतिहास और यहां मिलने वाली मूर्तियां भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। इन्हें संरक्षित करना न केवल इतिहास को सुरक्षित रखना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी जड़ों को समझने का माध्यम भी है।

Advertisement
Tags :
haryana newsHindi NewsHistorical placesHistorical Places of HaryanaPehowa NewsPehowa Teerthऐतिहासिक स्थलपिहोवा तीर्थपिहोवा समाचारहरियाणा के ऐतिहासिक स्थलहरियाणा समाचारहिंदी समाचार