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संविधान पीठ का ऐतिहासिक निर्णय, चुनावी बॉन्ड योजना रद्द

06:33 AM Feb 16, 2024 IST
संविधान पीठ का ऐतिहासिक निर्णय  चुनावी बॉन्ड योजना रद्द
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नयी दिल्ली, 15 फरवरी (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को एक ऐतिहासिक फैसले में राजनीतिक फंडिंग के लिए लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
लोकसभा चुनाव से पहले आए इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को छह वर्ष पुरानी योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने के निर्देश दिए। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा भुगतान कराए गए सभी चुनावी बॉन्ड का ब्योरा देना होगा। इस ब्योरे में यह भी शामिल होना चाहिए कि किस तारीख को यह बॉन्ड भुनाया गया और इसकी राशि कितनी थी। इसने कहा कि साथ ही पूरा विवरण छह मार्च तक निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। निर्वाचन आयोग को एसबीआई से मिली जानकारी 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करनी होगी। पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग और सर्वसम्मत फैसले दिए। प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘चुनावी बॉन्ड योजना और विवादित प्रावधान ऐसे हैं कि वे चुनावी बॉन्ड के माध्यम से योगदान को गुमनाम बनाते हैं।’ न्यायालय ने कहा कि एसबीआई को उन राजनीतिक दलों के भी ब्योरे देने होंगे जिन्हें 12 अप्रैल 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड के जरिए धनराशि मिली है। कोर्ट ने कांग्रेस नेता जया ठाकुर, माकपा और गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की याचिकाओं पर सुनवाई की। फैसले के बाद ठाकुर ने कहा, ‘जो लोग चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन दान कर रहे थे वे अपने नाम का खुलासा नहीं कर रहे थे। कहीं न कहीं वे सरकार से कोई फायदा चाहते होंगे....इस फैसले से फर्क पड़ेगा।’

फैसला लोकतंत्र के लिए वरदान : एसवाई कुरैशी

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा, ‘यह सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछले पांच-सात वर्ष में दिया गया सबसे ऐतिहासिक निर्णय है। यह लोकतंत्र के लिए वरदान है।’ उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद।’
16,000 करोड़ के बॉन्ड, भाजपा को सबसे ज्यादा हिस्सा : विभिन्न राजनीतिक दलों को चुनावी बॉण्ड के तहत 16,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि प्राप्त हुई है। माना जा रहा है कि सबसे बड़ा हिस्सा भाजपा को मिला। औसतन, राजनीतिक दलों को प्राप्त कुल चंदे का आधे से अधिक हिस्सा बॉण्ड से प्राप्त राशि का है, हालांकि, अपने-अपने राज्यों में सत्तारूढ़ कुछ क्षेत्रीय दलों के मामले में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत से अधिक है। संप्रग-2 के कार्यकाल के अंतिम वर्ष से देश की सबसे अमीर पार्टी होने के मामले में भाजपा ने कांग्रेस की जगह ले ली है।

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फैसले का स्वागत, पारदर्शिता था मकसद : भाजपा

भाजपा नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उनकी पार्टी फैसले का सम्मान करती है। साथ ही यह भी कहा कि पारदर्शिता लाने के लिए यह योजना लायी गयी थी। उन्होंने यह भी कहा कि जो दल इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, असल में उनके पास मोदीजी के नेतृत्व और उनकी सरकार द्वारा किए गए सकारात्मक कार्यों का कोई जवाब या विकल्प नहीं है, जिनसे करोड़ों लोग लाभान्वित हुए हैं।

फैसले से वोट की ताकत मजबूत होगी : कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा कि यह निर्णय नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘शुरुआत में कांग्रेस ने इसे अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक बताया था। घोषणापत्र में योजना को खत्म करने का वादा किया। उस फैसले का स्वागत जिसने मोदी सरकार की ‘काला धन रूपांतरण’ योजना को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया। उम्मीद है कि मोदी सरकार भविष्य में ऐसे शरारतपूर्ण विचारों का सहारा लेना बंद कर देगी।’

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पूरा घटनाक्रम

2017 : वित्त विधेयक में चुनावी बॉन्ड योजना पेश
14 सितंबर 2017 : योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
3 अक्तूबर 2017 : निर्वाचन आयोग को कोर्ट का नोटिस
2 जनवरी 2018 : केंद्र सरकार से योजना अधिसूचित
7 नवंबर 2022 : योजना में वार्षिक बिक्री दिनों को 70 से बढ़ाकर 85 किया
16 अक्तूबर 2023 : सीजेआई की पीठ ने संविधान पीठ को मामला भेजा
31 अक्तूबर, 2023 : संविधान पीठ में सुनवाई शुरू
2 नवंबर 2023 : फैसला सुरक्षित
15 फरवरी 2024 : शीर्ष अदालत से योजना रद्द

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