मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

उनकी नादानी ने रची पानी की कहानी

07:27 AM Jun 18, 2024 IST
Advertisement

आलोक पुराणिक

पानी विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से विजयी छात्र का निबंध इस प्रकार है :-
पानी बवाल है, सवाल है, कमाल है, कइयों के लिए यह कमाई है।
पानी आंख में न बचे, तो बंदा बेशर्म हो जाता है। पानी आंख से बिलकुल ही गायब हो जाये, तो बंदा परम बेशर्म हो जाता है, ऐसे बंदे के नेता बनने के पूरे चांस हैं।
पानी खेत में न हो, फसल तबाह हो जाती है। पानी स्विमिंग पूल में न हो, पूल कंक्रीट का गड्ढा बन जाता है। कुल मिलाकर पानी की खासी महत्ता है, जैसा कि अकबर के नवरत्न कवि रहीम कह गये हैं— ‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।’ यह पुरानी बात है, अब पब्लिक कह रही है- ‘पानी कम सून।’ यानी पानी जल्दी आ जाओ। पानी पर विकट हल्ला मचा हुआ है। दिल्ली में पानी की नहर की पुलिस निगरानी कर रही है। चोर नहर से पानी ले जाते हैं। भारतीय चोर विकट स्मार्ट हैं।
दिल्लीवालों की आफत विकट है। पानी गायब होता है नेता उससे पहले गायब हो जाते हैं। पानी गायब होने का फायदा मीडिया वालों को होता है। मीडिया वाले रोज बताते हैं कि आज तो सूरज से आग बरसेगी, सचमुच की। पब्लिक बहुत सख्त जान हो चुकी है, आग बरसें या अंगारे, पब्लिक का कुछ न बिगड़ता। जिस मुल्क में नेता कुछ न बिगाड़ पाता पब्लिक का, आग क्या बिगाड़ लेगी। और पानी गायब होने का सबसे ज्यादा फायदा मटका कारोबारियों को होता है। जो नेता अपने सालों के कार्यकाल में पानी का इंतजाम न करवा पाये थे, वो भी पब्लिक की तरफ से नाराजगी का इजहार करते हैं कि पानी का इंतजाम क्यों न हो रहा है। और कई नेता मटकाफोड़ अभियान चलाते हैं। मटके फूटते हैं, तो मटकों का कारोबार चल निकलता है। यही दुनिया का उसूल है कोई डूबता कोई उबरता है। तो किसी का कारोबार चलता है।
अगर चालू चक्रम बंदा है, तो पानी बहुत बड़ा कारोबार है। पानी की सप्लाई का कारोबार किया जा सकता है। उससे मोटी रकम कमाकर बंदा विधायक, सांसद और मंत्री भी बन सकता है। मंत्री बनकर पानी कारोबारी पहला काम यही कर सकता है कि पानी की सप्लाई बिलकुल ही बंद करा दे। पानी समस्या सिर्फ आम आदमी की है।
दिल्ली वाले पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। पब्लिक कहीं की भी हो, उसकी नियति जूझना ही है। अगर समस्या से बचना है, तो नेता बनिये, कारोबारी बनिये या टीवी पत्रकार बनिये। हर समस्या खुद हल बन जाती है।
आम आदमी को कोशिश करनी चाहिए कि वह आम आदमी न रहे। फिर कोई समस्या नहीं है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement