Hindenburg Research: सेबी प्रमुख की अदाणी से जुड़ी इकाइयों में हिस्सेदारी, बुच ने आरोप को आधारहीन बताया
नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा)
Hindenburg Research: हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख पर लगाए आरोप, अदाणी समूह का कोई वाणिज्यिक संबंध होने से इनकार नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने संदेह जताया है कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में पूंजी बाजार नियामक सेबी की अनिच्छा का कारण सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है। हालांकि सेबी प्रमुख ने इस आरोप को 'आधारहीन' और 'चरित्र हनन' का प्रयास बताया है।
हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख बुच और उनके पति धवल बुच के पास उस विदेशी कोष में हिस्सेदारी है, जिसका इस्तेमाल अदाणी समूह में धन की कथित हेराफेरी के लिए किया गया था। हिंडनबर्ग के मुताबिक, बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था।
उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूक की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में जारी अपनी पिछली रिपोर्ट में अदाणी समूह पर वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी और शेयरों की कीमतें चढ़ाने के लिए विदेश कोष के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे। हालांकि अदाणी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है।
इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि हिंडनबर्ग के नए खुलासे ने 'अदाणी महाघोटाले' के पूरे दायरे की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की उसकी मांग को मजबूती दी है जबकि तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि सेबी प्रमुख को इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "इस खुलासे से वर्ष 2022 में सेबी की चेयरपर्सन बनने के बाद सुश्री बुच के साथ गौतम अदाणी की लगातार दो बैठकों को लेकर नए सवाल उठते हैं। सेबी उस समय अदाणी के लेन-देन की जांच कर रहा था।"
सेबी ने अक्टूबर, 2020 में अदाणी समूह की कंपनियों की शेयरधारिता संरचना की जांच शुरू की थी। जांच यह निर्धारित करने के लिए शुरू की गई थी कि विदेशी निवेशक असली सार्वजनिक शेयरधारक हैं या प्रवर्तकों के मुखौटे भर हैं। सेबी ने पिछले साल उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल को बताया था कि वह 13 अस्पष्ट विदेशी इकाइयों की जांच कर रहा है, जिनके पास समूह के पांच सार्वजनिक रूप से कारोबार किए जाने वाले शेयरों में 14-20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसने यह नहीं बताया कि क्या दोनों जांच पूरी हो गई हैं।
इस बीच, सेबी प्रमुख और उनके पति ने एक संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है। बुच दंपति ने कहा, ‘‘रिपोर्ट में लगाए गए आरोप पूरी तरह से आधारहीन और बेबुनियाद हैं। इनमें तनिक भी सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब की तरह है। सभी जरूरी खुलासे पहले ही वर्षों से सेबी को दिये जा चुके हैं। हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेज का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।''
बुच ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसी के जवाब में हमें ही घेरने और चरित्र हनन करने का प्रयास किया गया है।''
हालांकि बुच दंपती ने अदाणी समूह के खिलाफ सेबी की जांच को लेकर हिंडनबर्ग की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कुछ नहीं कहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि नियत समय में एक विस्तृत बयान जारी किया जाएगा। हिंडनबर्ग ने शनिवार रात को एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि माधवी और उनके पति ने ऑफशोर इकाइयों में निवेश किया जो कथित तौर पर इंडिया इन्फोलाइन (आईआईएफएल) द्वारा प्रबंधित फंड का हिस्सा थे और उसमें विनोद अदाणी ने भी निवेश किया था।
हिंडनबर्ग के मुताबिक, कथित तौर पर ये निवेश 2015 में किए गए थे। वर्ष 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधवी पुरी बुच की नियुक्ति और मार्च 2022 में इसका चेयरपर्सन बनने से काफी पहले ये निवेश किए गए थे। इसके मुताबिक, बरमूडा स्थित ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड भी इस फंड में निवेश करने वालों में शामिल था। अदाणी समूह से जुड़ी इकाइयों द्वारा समूह की कंपनियों के शेयरों में कारोबार के लिए कथित तौर पर ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड का ही इस्तेमाल किया गया था।
निवेश कंपनी ने ‘व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों' का हवाला देते हुए कहा, “सेबी की वर्तमान प्रमुख बुच और उनके पति के पास अदाणी समूह में धन के हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ‘ऑफशोर फंड' में हिस्सेदारी थी।” विदेशी बाजारों में निवेश करने वाले फंड को ऑफशोर फंड या विदेशी कोष कहते हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विनोद अदाणी अस्पष्ट विदेशी कोष बरमूडा और मॉरीशस कोषों को नियंत्रित करते थे।
हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन कोषों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए किया गया था। इन आरोपों के जवाब में अदाणी समूह ने शेयर बाजार को दी एक सूचना में कहा, "हिंडनबर्ग के नए आरोप सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं का दुर्भावनापूर्ण, शरारती और छेड़छाड़ करने वाला चयन है। ऐसा तथ्यों और कानून की अवहेलना करते हुए निजी मुनाफाखोरी के लिए पूर्व-निर्धारित निष्कर्षों पर पहुंचने के इरादे से किया गया है।"