विदेश में भी बजेगा हिमाचल की नेचुरल फार्मिंग का डंका
यशपाल कपूर/निस
सोलन,11 जुलाई
सोलन की डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री नौणी अब दुनिया को नेचुरल फार्मिंग सिखाएगी। हिमाचल प्रदेश के नेचुरल फार्मिंग मॉडल को अब विदेशी भी अपनाएंगे। इस दिशा में काम भी शुरू हो चुका है। यूरोपियन कमीशन ने एग्रो इकोलॉजी लिए एक परियोजना को मंजूर किया है। इसमें भारत समेत 12 देश शामिल होंगे। इस प्रोजेक्ट को एक्रोपिक्स प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है, जिसमें 15 सदस्यों को शामिल किया गया है। इनमें 12 शैक्षणिक संस्थाएं और 3 कंपनियां शामिल हैं। भारत से एकमात्र शैक्षणिक संस्थान डॉ. यशंवत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी को इसका सदस्य बनाया गया है। देश में नेचुरल फार्मिंग की अलख इसी यूनिवर्सिटी ने जगाई है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। अब देश के भी कई राज्यों में हिमाचल के मॉडल पर नेचुरल फार्मिंग की जा रही है। इससे देश में विषरहित खेती का नया मॉडल सामने आया है।
ये 12 देश होंगे शामिल : यूरोपियन यूनियन के एक्रोपिक्स प्रोजेक्ट में भारत के अलावा फ्रांस के नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर,फूड एंड एनवायनमेंट (इनरा), बायोबेस्ट ग्रुप, सीआईआरएडी फ्रांस, एग्रो बायो स्पेन, पुर्तगाल, नीदरलैंड, रोमानिया, वीडीबी फ्रांस, अर्जेंटीना, कंबोडिया, चीन, चिली, यूनीसीए फ्रांस, बीएसए फ्रांस, सेनेगल शामिल हैं।
प्रोजेक्ट पर क्या कहते हैं वीसी : एग्रो इकोलॉजी के लिए यूरोपियन कमीशन ने एक्रोपिक प्रोजेक्ट को फंड किया है। इसके तहत कैमिकलमुक्त खेती की वकालत की गई है। फसलों के सतत विकास का मॉडल, जिसमें जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो और भूमि की उर्वरा शक्ति भी क्षीण न हो। इस परियोजना में 12 देशों को शामिल किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत 7 वर्किंग ग्रुप बनाए गए हैं, जिनमें से एक ग्रुप का कार्य नौणी यूनिवर्सिटी देखेगी। इस प्रोजेक्ट पर कार्य आरंभ हो चुका है। इस के लिए मई माह में एक बैठक हो चुकी है। 27 अगस्त से 17 सितंबर तक फ्रांस और सेनेगल का एक दल हिमाचल आएगा। यह प्रोजेक्ट चार साल तक चलेगा।