मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
आस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

नहीं रहे हिमाचल के बागबानी वैज्ञानिक डॉ. जगमोहन सिंह

07:43 AM Aug 26, 2024 IST

यशपाल कपूर/निस
सोलन, 25 अगस्त
हिमाचल प्रदेश में बागवानी, कृषि एवं वानिकी को वैज्ञानिक स्वरूप देकर हमारी सोच को वैज्ञानिक, व्यवहारिक एवं व्यवसायिकता प्रदान करने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रदेश के जाने-माने बागबानी वैज्ञानिक, नौणी यूनिवर्सिटी व कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के पूर्व वीसी, हिमाचल प्रदेश बागबानी विभाग के निदेशक रहे डॉ. जगमोहन सिंह का सोलन में अपने आवास पर रविवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे। डॉ. जगमोहन सिंह चौहान का नाम हिमाचल में अग्रिम पंक्तियों के बागवानी विचारकों में लिया जाता है। अपने पीछे पत्नी व दो बेटे व भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
डॉ.जगमोहन सिंह का जन्म सिरमौर के गांव भुईरा में 11 नवंबर, 1945 को हुआ था। हाई स्कूल की शिक्षा राजकीय उच्च विद्यालय राजगढ़ से प्राप्त की। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना से एग्रीकल्चर और एनिमल हसबेंडरी में 1966 में बीएससी, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से हॉर्टिकल्चर में 1969 में एमएससी व पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से हॉर्टिकल्चर में 1974 में पीएचडी की। उन्होंने अपने विषयों से संबंधित जुड़े अन्य अनुशासनों में मलिंग रिसर्च स्टेशन कैट-यूके, मैक्सिको, यूएसए तथा थाईलैंड से भी उच्च प्रशिक्षण प्राप्त किया। अखरोट के संवर्धन एवं विकास के क्षेत्र में आपका विशेष योगदान है। 1968 में उन्होंने रिसर्च एसोसिएट के तौर पर रीजनल फ्रूट रिसर्च स्टेशन मशोबरा में सरकारी नौकरी की। उसके बाद फ्रूट रिसर्च स्टेशन कंडाघाट में असिस्टेंट हॉर्टिकल्चरिस्ट कार्य किया। 1976 में यूएचएफ नौणी के हॉर्टिकल्चर विभाग में ज्वाइन किया। 1984 में प्रोफेसर बने। 1995 में पॉमोलॉजी (फल विज्ञान) विभाग के अध्यक्ष बने। 1998-2001 तक हिमाचल प्रदेश सरकार में प्रतिनियुक्ति पर स्टेट डायरेक्टर ऑफ हॉर्टिकल्चर के पद पर कार्य किया। डीन कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर, डायरेक्टर ऑफ एक्सटेंशन एजूकेशन यूएचएफ नौणी का दायित्व भी निभाया।

Advertisement

दो यूनिवर्सिटी के रहे वीसी....

डॉ. जगमोहन सिंह प्रदेश के दोनों प्रमुख विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर रहे। डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी को बनाने में उनका अहम योगदान रहा। 2 जुलाई 2004 से लेकर 5 अप्रैल 2005 तक वे सीएसके यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर पालमपुर के वीसी और 6 अप्रैल 2005 से 5 अप्रैल 2008 तक डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी के वाइस चांसलर रहे। डॉ. जगमोहन सिंह चौहान का अनुभव वैश्विक स्तर रहा। उन्होंने यूएसए, यूके, फ्रांस, जर्मनी, नेपाल, इटली, सूडान, डेनमार्क, स्पेन, बुल्गारिया, आर्मीनिया, थाईलैंड, पाकिस्तान, साउथ कोरिया, स्विटजरलैंड की शैक्षणिक यात्राएं की, जिसका सीधा लाभ हिमाचल प्रदेश को मिला। उनके सैकड़ों अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध पत्र भी प्रकाशित किए तथा शोध निर्देशन भी किया। वे खुद बागवान थे और उनका मूल मंत्र था कि प्राकृतिक संसाधनों का समुचित एवं तर्कसंगत उपयोग कर सतत एवं स्थाई विकास द्वारा पहाड़ी मानुष के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement