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ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में हिमाचल की कृषि व बागवानी

07:03 AM Mar 16, 2025 IST
ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में हिमाचल की कृषि व बागवानी
प्रतीकात्मक चित्र
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शिमला, 15 मार्च (हप्र)
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएं झेल रहे हिमाचल प्रदेश पर इस बदलाव की एक और मार पड़ी है। यह मार राज्य में कृषि उत्पादन में आई भारी गिरावट के रूप में पड़ी है।
प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादन में ही 7.46 फ़ीसदी की गिरावट आई है जबकि क्षेत्रफल बढ़ाने के बावजूद राज्य में सेब उत्पादन घटा है। जानकारी के अनुसार राज्य में वर्ष 2023 की तूलना में गत वर्ष प्रमुख फसलों के उत्पादन में 7.46 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
राज्य में वर्ष 2023-24 में 3721.59 मीट्रिक टन फसलों का उत्पादन हुआ था, जो वर्ष 2024-25 में घटकर 3603.35 मीट्रिक टन रहने का अनुमान है। इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में चावल व गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है। वर्ष 2023-24 में 1.72 लाख मीट्रिक चावल का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2024-25 में उत्पादन घटकर 1.61 लाख मीट्रिक टन रहेगा। इसी तरह गेहूं का उत्पादन वर्ष 2023-24 में 7.82 लाख मीट्रिक टन से घटकर वर्ष 2024-25 में 6.28 लाख मीट्रिक टन रह गया। ऐसे में राज्य में धान के उत्पादन में 6.39 फीसदी तथा गेहूं के उत्पादन में 19.76 फीसदी की गिरावट हुई है।
इसके अलावा रागी के उत्पादन में 6.25 फीसदी, जौ के उत्पादनन में 2.34 तथा आलू के उत्पादन में 0.05 फीसदी की गिरावट हुई है। हालांकि इस दौरान मक्का, छोटे अनाज व बाजरा, चना व दालों के उत्पादन में वृद्धि भी दर्ज की गई है।

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सेब की पैदावार का क्षेत्रफल बढ़ रहा

आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सेब का क्षेत्रफल बढ़ा है, लेकिन उत्पादन में गिरावट आई है। राज्य में सेब की पैदावार का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है, लेकिन गत 3 वर्षों से सेब के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार राज्य में वर्ष 2022-23 में 1,15,680 हैक्टेयर व 2023-24 में 1,16,240 हैक्टेयर में सेब की खेती होती थी। लेकिन वर्ष 2022-23 में राज्य में सेब का उत्पादन 672.34 मिट्रिक टन हुआ था, जो वर्ष 2023-24 में घटकर 506.69 मीट्रिक टन व वर्ष 2024-25 में 497.41 मीट्रिक टन रह गया।

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