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हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में जमा किए 64 करोड़

10:02 PM Dec 06, 2024 IST
हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में जमा किए 64 करोड़
फाइल फोटो
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शिमला, 6 दिसंबर (हप्र)

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड के पक्ष में दिए हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेशानुसार 64 करोड़ रुपए ब्याज सहित जमा करवा दिए गए हैं। यह राशि हाईकोर्ट में सरकार की लंबित अपील में जमा करवाई गई है। प्रदेश सरकार द्वारा यह बात अनुपालना याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताई गई। सरकार ने इस राशि को समय पर कोर्ट में जमा न करवाने के दोषियों अधिकारियों से जुड़ी जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रखने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा जिसे स्वीकारते हुए न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की। उल्लेखनीय है कि इस मामले में अदालती आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट ने हिमाचल भवन, 27-सिकंदरा रोड, मंडी हाउस, नई दिल्ली को कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा ऊर्जा विभाग के खिलाफ दायर अनुपालना याचिका पर सुनवाई के पश्चात‍् यह आदेश दिए थे। कोर्ट ने एमपीपी और पावर विभाग के प्रमुख सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने के आदेश भी दिए थे कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपए की 7 फीसदी ब्याज सहित कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों का पता लगाना इसलिए जरूरी है क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारी अधिकारियों/कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा। कोर्ट ने 15 दिनों की अवधि के भीतर जांच पूरी करने और जांच की रिपोर्ट अगली तारीख को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत के आदेश दिए थे। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता द्वारा जमा किए गए 64.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को याचिका दायर करने की तारीख से इसकी वसूली तक 7% प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था। इस फैसले पर खंडपीठ ने इस शर्त पर रोक लगा दी थी कि यदि प्रतिवादी उपरोक्त राशि कोर्ट में जमा करवाने में असमर्थ रहते हैं तो अंतरिम आदेश हटा लिए जाएंगे। राशि जमा न करने पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 15 जुलाई 2024 को एकल पीठ के फैसले पर लगाई रोक को हटाने के आदेश जारी किए। इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी-राज्य के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश नहीं है, इसलिए कोर्ट के आदेशों को लागू किया जाना इसलिए जरूरी है क्योंकि सरकार द्वारा अवार्ड राशि जमा करने में देरी से दैनिक आधार पर ब्याज लग रहा है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाना है।

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