हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से किया जवाब तलब
शिमला, 20 मई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी शिमला के हीरानगर स्थित बाल सुधार गृह में अमानवीय व्यवहार को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुक्खू सरकार से जवाब तलब किया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने मामले में बनाए प्रतिवादी अधीक्षक कौशल गुलेरिया, कुक राहुल, रसोई सहायक योगेश और सिक्योरिटी गार्ड रोहित को भी नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों से 4 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। मामले पर सुनवाई 24 जून को निर्धारित की गई है।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में बाल सुधार गृह में किशोरों से अमानवीय व्यवहार के आरोपियों को उपयुक्त दंड देने की गुहार लगाई है। आरोप लगाया गया है कि यह बाल सुधार गृह की बजाय किशोरों के लिए टॉर्चर गृह बन गया है। हालांकि कम उम्र में अपराध को अंजाम देने वाले नाबालिगों को सुधारने के लिए इस बाल सुधार गृह में रखा जाता है। इसमें एक दर्जन से अधिक किशोर रखे गए हैं। पत्र में कहा गया है कि एक किशोर को इस सुधार गृह से 7 मई को रिहा किया गया था जिसने प्रार्थी को टेलीफोन कर सुधार गृह में हो रही घटनाओं के बारे में बताया और उसने वहां रह रहे अन्य किशोरों को बचाने की प्रार्थना की। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड सोलन को भी जुबानी और लिखित शिकायत में उसने अपने साथ हुई मारपीट और यातनाओं के बारे में बताया था।
उसने आरोप लगाया है कि उसे और अन्य बच्चों के साथ निजी प्रतिवादी अकसर मारपीट करते थे। उन्हें धमकियां देते थे। एक बार तो उसे इतना पीटा गया कि उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। दो पीड़ित किशोरों ने तो महिला एवं बाल विकास विभाग जिला शिमला के प्रोग्राम अधिकारी से शिकायत की थी परंतु आरोपी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। दो किशोरों ने तंग आकर अपनी हाथों की नसें काटकर आत्महत्या करने का प्रयास भी किया था। आरोप है कि किशोरों से दुर्व्यवहार अकसर अधीक्षक के कक्ष में होता है या ऐसे स्थान पर होता है जहां सीसीटीवी कैमरे की नजर न पड़े। आरोप है कि कभी-कभी तो कैमरे बंद भी कर दिए जाते हैं और किशोरों को पर्याप्त भोजन भी नहीं दिया जाता।