हिमाचल हाई कोर्ट ने अपने ही आदेशों पर लगाई रोक
शिमला, 14 अक्तूबर (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल चमियाणा को भट्टाकुफर से जोड़ने वाले संपर्क मार्ग पर किए अतिक्रमणों को हटाने से जुड़े आदेशों पर फिलहाल रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने 1 अक्तूबर को जारी आदेशों के तहत संबंधित लोगों को 13 अक्तूबर तक का समय देते हुए अतिक्रमणों को हटाने के आदेश जारी किए थे। कोर्ट ने इस बाबत स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के आदेश भी दिए थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उक्त संपर्क मार्ग के आसपास सरकारी भूमि पर किए अवैध निर्माणों से जुड़े मामलों में प्रदेश की कोई भी अदालत और प्राधिकारी दखल न दे। कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई इस कार्रवाई से खुद को पीड़ित समझता है तो वह सीधे हाईकोर्ट में इस मामले से जुड़ कर अपनी बात अदालत के समक्ष रखने के लिए स्वतंत्र है। हाईकोर्ट के इन आदेशों के पश्चात कुछ लोगों ने खुद को न्यायालय के आदेशों से पीड़ित पाते हुए आवेदन पत्र दाखिल किया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सोमवार को आवेदन का अवलोकन करने पर कहा कि इस मामले को अलग से सुने जाने की आवश्यकता है। इसलिए कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों के अमल पर रोक लगाते हुए इस मामले को अलग से पंजीकृत करने के आदेश पारित किए। मामले पर सुनवाई 22 अक्तूबर को निर्धारित की गई है।
बिना उपयोग के पड़ी हैं करोड़ों की मशीनरियां
उल्लेखनीय है कि एक अन्य जनहित याचिका में चमियाणा हॉस्पिटल को शिमला शहर से जोड़ने के लिए संपर्क मार्ग की उचित और सुरक्षित व्यवस्था न होने के कारण हाईकोर्ट ने इस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में विभिन्न विभागों की ओपीडी के संचालन पर रोक लगा रखी है। कोर्ट ने यह रोक लगाते हुए कहा था कि जब तक चमियाणा हॉस्पिटल तक सड़क की मेटलिंग कर पक्का नहीं कर लिया जाता और जब तक सड़क को सुरक्षित तथा वाहन योग्य नहीं बना लिया जाता, तब तक आईजीएमसी शिमला में ही यह सारी ओपीडी लगेगी। मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि चमियाणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का निर्माण 100 करोड़ रुपए की राशि से ज्यादा खर्च कर किया गया है। इसमें करोड़ों की मशीनरियां स्थापित की गई हैं जो बिना उपयोग के पड़ी है। निर्माण कार्य और मशीनरियों की उचित स्थापना के बावजूद इसका संचालन केवल इसलिए नहीं हो पा रहा कि इस हॉस्पिटल तक पहुंचने के लिए उपयुक्त सड़क नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जनहित के उद्देश्य को पूरा करने के लिए उचित कनेक्टिविटी का होना जरूरी है और इसके लिए ऐसी सड़क का होना भी जरूरी है जिससे दो छोटे वाहन आसानी से एक दूसरे को पार कर सकें।