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हिमाचल हाईकोर्ट ने निर्धारित कोटे को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक ठहराते किया खारिज

07:32 AM Aug 28, 2024 IST

शिमला, 27 अगस्त (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में उप निदेशकों के पदों को भरने के लिए निर्धारित कोटे को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक ठहराते हुए खारिज कर दिया है। सरकार ने शिक्षा विभाग में उप निदेशकों के पदों को भरने के लिए 60 फीसदी कोटा हेडमास्टर से पदोन्नत होने वाले प्रधानाचार्यों के लिए जबकि 40 फीसदी कोटा लेक्चरर से पदोन्नत होने वाले प्रधानाचार्यों के लिए रखा था। लेक्चरर से प्रधानाचार्य बने अध्यापकों ने अपने कोटे की कटौती को भेदभावपूर्ण बताते हुए इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने प्रार्थियों की याचिका को स्वीकार करते हुए शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वह सभी प्रधानाचार्यों की एक सामान्य वरिष्ठता सूची तैयार करे। कोर्ट ने आदेश दिए कि प्रधानाचार्यों की वरिष्ठता उनके कैडर में शामिल होने की तिथि से निर्धारित की जाए और इसी वरिष्ठता सूची से उप निदेशकों के पदों को भरने के लिए उनकी उम्मीदवारी के निर्धारण पर विचार करे।
मामले के अनुसार 14 सितंबर 2005 को प्रदेश सरकार ने नियमों में संशोधन कर शिक्षा विभाग में उपनिदेशकों के पदों के लिए प्रधानाचार्यों का अलग-अलग कोटा निर्धारित किया था। सरकार का कहना था कि टीजीटी के रूप में लंबे समय तक सेवा करने के बाद किसी अध्यापक को हेडमास्टर के पद पर पदोन्नत किया जाता है, जबकि लेक्चरर के लिए 50 फीसदी कोटा सीधी भर्ती से और 50 फ़ीसदी कोटा टीजीटी से पद्दोन्नति के लिए रखा गया है। ऐसी परिस्थिति में लेक्चरर के रूप में नियुक्त व्यक्ति लाभकारी स्थिति में होता है जो काफी कम समय में पद्दोनत होकर प्रधानाचार्य बन जाता है। कोर्ट ने शिक्षा विभाग की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानाचार्यों का एक स्वतंत्र केडर है। इसलिए यह कोई मायने नहीं रखता कि वे किस प्रकार से प्रधानाचार्य बने।

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