सफेद हाथी बनी हिम केयर योजना
शिमला, 7 अप्रैल (हप्र)
हिमाचल प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई हिमकेयर योजना सफेद हाथी साबित होने लगी है। आर्थिक तंगी की वजह से प्रदेश सरकार हिमकेयर व आयुष्मान के तहत अस्पतालों की मुफ्त उपचार की देनदारियों का भुगतान नहीं कर पा रही है। दवा व शल्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने वाले वितरकों के बिलों का भुगतान न होने से रोगियों के साथ साथ इन्हें भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लाखों लोगों को निशुल्क उपचार की सुविधा के मकसद से शुरू की गई योजना हांफ गई है।
सूत्रों के अनुसार अकेले हिमकेयर के तहत ही सरकार की देनदारियां करीब 300 करोड़ तक पहुंच गई हैं। इनमें से 77 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारियां सिर्फ आईजीएमसी शिमला की हैं। आईजीएमसी की देनदारियां अधिक होने से सबसे अधिक दिक्कत यहां उपचार के लिए आने वाले रोगियों को हो रही है। आईजीएमसी में ही प्रदेश में सबसे अधिक रोगियों का उपचार होता है। भुगतान न होने से आईजीएमसी में इंटरवेंशन सर्जरी या तो बंद हो गई है या मरीजों को अपनी जेब ढीली कर सर्जरी करवानी पड़ रही है। स्पलायरों ने सामान देना बंद कर दिया है। ऐसे में प्रदेश के दूर-दराज हिस्सों से आए रोगियों का यहां मुफ्त उपचार नहीं हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में हिमकेयर योजना का मुद्दा विधानसभा के शीतकालीन व बजट सत्र में भी उठा था। इस पर सरकार ने स्थिति साफ की है कि योजना को बंद नहीं किया जा रहा। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल भी हिमकेयर की देनदारियों का भुगतान जल्द करने की बात कह चुके हैं। सरकार ने साल 2024-25 के बजट में इसके लिए लगभग 300 करोड़ का प्रावधान किया है। सूत्र बताते हैं कि बजट में धन का प्रावधान मौजूदा देनदारियों के निपटारे के लिए पर्याप्त नहीं है।
उधर, दवाओं की होल सेल डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव पंडित और महासचिव अनुज जैन ने कहा कि उन्हें कंपनी से दवाइयां मंगवाना मुश्किल हो गई है। पहले यह पेमेंट 45 से 60 दिन के अंदर आ जाती थी, लेकिन अब करोड़ों का भुगतान लंबित है। मरीजों को दवाइयां न मिलने से काफी दिक्कतें हो रही है। शिमला के दवाई के होल सेल डिस्ट्रीब्यूटर को जन औषधी आईजीएमसी शिमला द्वारा लगभग एक वर्ष से भुगतान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस समस्या का तुरंत समाधान हो।