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कैथल में हाई-प्रोफाइल Cyber fraud फर्जी क्राइम ब्रांच अफसर ने इलेक्ट्रिशियन से ऐंठ लिए 55 लाख

12:16 PM Jun 07, 2025 IST
कैथल में हाई प्रोफाइल cyber fraud फर्जी क्राइम ब्रांच अफसर ने इलेक्ट्रिशियन से ऐंठ लिए 55 लाख
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ललित शर्मा/हमारे प्रतिनिधि
कैथल, 7 जून
Cyber fraud कैथल में साइबर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक साधारण से इलेक्ट्रिशियन को अपराधियों ने इतने कुशल तरीके से डराया और बहलाया कि वह 55 लाख रुपये की मोटी रकम अपने ही हाथों से उनके खाते में भेज बैठा।

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चौधरिया मोहल्ला निवासी रमेश कुमार के साथ यह पूरा घटनाक्रम व्हाट्सएप के जरिए शुरू हुआ, जब उसे ‘मुंबई क्राइम ब्रांच’ नाम से एक संदेश मिला। इसके बाद वीडियो कॉल कर खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताने वाले शातिर ने उसे बताया कि उसके नाम पर एक मोबाइल नंबर से धोखाधड़ी की गई है और अब वह मनी लान्ड्रिंग केस में फंस चुका है।

एक-एक कदम सोची-समझी रणनीति के तहत

शुरुआत में ही ठग ने रमेश से आधार कार्ड की फोटो मंगवाई और फिर कोर्ट की फर्जी कार्यवाही का डर दिखाया। उसने एक 'FIR' की फोटो और 'सुप्रीम कोर्ट' के आदेश जैसी दिखने वाली फाइलें भेजीं। फिर धमकाया कि मुंबई में उसके खिलाफ केस दर्ज हो चुका है और यदि वह निर्दोष है तो उसे अपने बैंक खातों की जांच के लिए तय रकम जमा करनी होगी।

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डर का फायदा उठाकर वसूली शुरू

  • 30 मई को रमेश ने 23 लाख रुपये RTGS के माध्यम से बताए गए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।
  • 1 जून को फिर 21 लाख रुपये और मांगे गए — कहकर कि कोर्ट जांच के लिए अतिरिक्त विवरण मांग रहा है।
  • इसके बाद 8 लाख 50 हजार रुपये और ले लिए गए, यह कहकर कि यह अंतिम जांच राशि है।
  • इस तरह रमेश ने कुल 55 लाख 30 हजार रुपये ठगों को ट्रांसफर कर दिए।

'अब आपका नाम क्लियर हो गया है…'

3 जून को अंतिम कॉल में आरोपी ने कहा कि रमेश का नाम अब केस से बाहर हो गया है और 72 घंटे में सारे पैसे रिफंड हो जाएंगे। लेकिन जब चार जून को रमेश ने पैसे वापस न आते देख फोन किया, तो न कॉल उठी, न कोई जवाब मिला।

शिकायत के बाद पुलिस हरकत में

ठगी का एहसास होने के बाद रमेश ने साइबर थाना में शिकायत दी। थाना प्रभारी ने बताया कि अज्ञात आरोपियों के खिलाफ IPC और IT एक्ट की गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। मामले में साइबर थाना प्रभारी सुभ्रांशु ने बताया कि जांच तकनीकी आधारों पर आगे बढ़ रही है, जल्द ही आरोपियों की पहचान कर ली जाएगी।

यह है साइबर ठगों की नई तरकीब

  • फर्जी पहचान : खुद को क्राइम ब्रांच अधिकारी बताना
  • वीडियो कॉलिंग : विश्वसनीयता का भ्रम पैदा करना
  • फर्जी दस्तावेज : कोर्ट की कार्यवाही और FIR भेजकर डराना
  • अर्जेंसी का नाटक : "72 घंटे में फंस जाओगे", "कोर्ट ने टाइम दिया है" जैसे झांसे
  • रिफंड का झूठा वादा : भरोसा दिलाने के लिए रकम वापसी का दावा

 सबक क्या है?

  • किसी अनजान नंबर से आए वीडियो कॉल या दस्तावेजों पर यकीन न करें
  • किसी भी सरकारी एजेंसी का अधिकारी कभी व्हाट्सएप कॉल या मैसेज से संपर्क नहीं करता
  • ऐसी स्थिति में तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या नजदीकी थाने में संपर्क करें
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