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हाईकोर्ट द्वारा स्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों की स्टेटस रिपोर्ट तलब

08:04 AM May 24, 2024 IST
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शिमला, 23 मई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा खंड निहरी जिला मंडी के तहत आने वाले स्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों की स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि शिक्षा विभाग ने 20 मार्च 2018 को दिए आश्वासन पर आज तक अमल नहीं किया। उस समय तत्कालीन महाधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वास्त किया था कि स्कूलों में 6 सप्ताह के भीतर पर्याप्त संख्या में स्टाफ की तैनाती कर दी जाएगी। प्रार्थी तिलक राम गांव ब्रगता तहसील निहरी ने आवेदन दायर कर शिक्षा विभाग पर आरोप लगाया है कि आश्वासन के बावजूद शिक्षा खंड निहरी के तहत आने वाले स्कूलों में अभी भी बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। ग्राम पंचायत सोझा, बंदली, हरबोई और धन्यारा जिला मंडी की ओर से हाईकोर्ट के नाम पत्र लिखकर स्कूलों में शिक्षकों की कमी की शिकायत की थी। आवेदन के माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बेहली में 21 में से 9, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दोघरी में 13 में से 7 और राजकीय उच्च विद्यालय बालन में 7 में से 4 शिक्षकों के पद अभी भी खाली पड़े हैं। शिक्षा खंड निहरी के तहत आने वाले प्राथमिक स्कूलों में जेबीटी, हेड टीचर और सेंटर हेड टीचर के 55 में से 28 पद खाली पड़े है। राजकीय प्राथमिक पाठशाला बडू और चियोरी में तो एक भी अध्यापक नहीं है।

हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक

नई दिल्ली (ट्रिन्यू) : हिमाचल प्रदेश सरकार को एक बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उसे राज्य में जलविद्युत कंपनियों पर लगाए गए जल उपकर को वापस करने को कहा था। हाईकोर्ट के 5 मार्च के फैसले के खिलाफ हिमाचल प्रदेश राज्य द्वारा दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली खंडपीठ ने नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) और अन्य को नोटिस जारी किया और मामले को 11 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। पीठ ने 17 मई के अपने आदेश में कहा, ‘अक्षेपित निर्णयों में दिए गए निर्देश और एकत्र किए गए उपकर की वापसी के आदेशों पर अगले आदेश तक रोक रहेगी।’ स्थगन आदेश हिमाचल सरकार के लिए एक बड़ी राहत है, जिसका इरादा राज्य में 170 से अधिक जल विद्युत परियोजनाओं पर जल उपकर लगाकर सालाना लगभग 2,000 करोड़ रुपये जुटाना था। हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन अधिनियम, 2023 पर जल उपकर के तहत जल विद्युत परियोजनाओं से वसूली गई राशि को चार सप्ताह में जल उपकर के रूप में वापस करने का आदेश दिया था।

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