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हाईकोर्ट ने खारिज की निष्कासन के विरुद्ध दायर याचिका

08:37 AM Jun 26, 2024 IST
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शिमला, 25 जून (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम सोलन की महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर के पार्षद पद से निष्कासन के विरुद्ध दायर याचिका खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने शहरी विकास विभाग द्वारा इस संबंध में जारी आदेशों को सही ठहराया। प्रार्थियों ने उनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेशों को चुनौती दी थी।
गौरतलब है कि शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने व्हिप के उल्लंघन की शिकायत पर रिपोर्ट आने के पश्चात इनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेश जारी किए थे। इन आदेशों को हाईकोर्ट में दोनों पार्षदों ने चुनौती दी थी। प्रार्थियों ने शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव सहित शहरी विकास विभाग के निदेशक, डीसी सोलन, नगर निगम सोलन के आयुक्त, भारतीय कांग्रेस कमेटी सोलन के जिलाध्यक्ष को भी प्रतिवादी बनाया था।
इन पर आरोप था कि दोनों ने व्हिप का उल्लंघन किया था। आरोप था कि इन्होंने कांग्रेस पार्टी के निशान पर नगर निगम सोलन में पार्षद का चुनाव लड़ा। 7 दिसंबर को सोलन में ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद नगर निगम में महापौर व उपमहापौर के चुनाव करवाए गए थे। आरोप है कि इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से इन्हें प्रत्याशी न बनाए जाने पर महापौर ऊषा ने भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हराकर यह पद हासिल किया था।
कांग्रेस ने महापौर पद के लिए सरदार सिंह ठाकुर और उप महापौर पद के लिए पार्षद संगीता का नाम प्रस्तावित किया था। यह घोषणा कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से एक दिन पहले की थी। बावजूद इसके चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर ने ऊषा का नाम महापौर पद के लिए प्रस्तावित कर दिया। इसके बाद महापौर कांग्रेस पार्टी की पार्षद ऊषा और उप महापौर भाजपा की प्रसाद मीरा आनंद बनी थीं।
इसके बाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष की शिकायत के बाद जांच बिठाई गई थी। उपायुक्त ने मामले की जांच की। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोनों को सदस्यता के अयोग्य करार दिया गया। कोर्ट ने मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के पश्चात प्रार्थियों की दलीलों से असहमति जताई और याचिका खारिज कर दी।

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