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हेमसा ने किया आंदोलन का ऐलान

06:36 AM Dec 05, 2024 IST

कुरुक्षेत्र, 4 दिसंबर (हप्र)
सर्व कर्मचारी संघ से संबंद्ध हरियाणा एजुकेशन मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन राज्य कमेटी की ओर से प्रांतीय प्रधान संदीप सांगवान, उपाध्यक्ष सावित्री देवी, महासचिव हितेंद्र सिहाग, कोषाध्यक्ष मुकेश खरब ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि शिक्षा विभाग फील्ड मिनिस्ट्रीयल स्टाफ कर्मियों का काफी लंबे समय से शोषण हो रहा है। शिक्षा सदन में विराजमान आला अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। राज्य कमेटी के निर्णय अनुसार शिक्षा विभाग मिनिस्ट्रीयल स्टाफ कर्मी अपनी मांगों को लेकर 18 दिसंबर को शिक्षा सदन पंचकूला पर मास डेपुटेशन प्रदर्शन करेंगे। मास डेपुटेशन प्रदर्शन का शिक्षा मंत्री, एसीएस व डायरेक्टर को नोटिस भेजा गया है। अगर समय रहते समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो कर्मचारी मास डेपुटेशन प्रदर्शन के दौरान शिक्षा सदन पर डेरा डालेंगे। हेमसा के जिला प्रधान टिक्का सिंह तथा जिला सचिव धर्मबीर मोर ने बताया कि व्यापक तैयारियों को लेकर प्रदेशभर में जिला स्तर पर विस्तारित बैठकें करके डीईओ की मार्फत भी नोटिस भेजे जा रहे हैं।
संदीप सांगवान ने कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में 23 अगस्त, 2022 को हरियाणा भवन चंडीगढ़ में अधिकारियों की उपस्थिति में 15 सूत्रीय मांगपत्र पर विस्तृत चर्चा करते हुए 9 बिंदुओं पर सहमति बनी थी। लेकिन 27 माह बीत जाने के बाद भी ढाक के तीन पात। शिक्षा सदन मुख्यालय में फाइलें धूल फांक रही हैं। किसी भी मांग का समाधान नहीं हुआ है।
हेमसा राज्य कमेटी ने बार-बार अधिकारियों से मुलाकात कर अनुरोध किया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, जिससे शिक्षा विभाग फील्ड मिनिस्ट्रीयल स्टाफ कर्मियों में अफसरशाही की कार्यप्रणाली के विरोध में भारी रोष है। पेपरलैस, स्टॉफिंग पॉलिसी व मल्टी टास्किंग की आड़ में मिनिस्ट्रीयल स्टाफ के कैडर पर लगातार हमला जारी है। पेपरलैस व मानव विहीन दफ्तर स्थापित कर मिनिस्ट्रीयल स्टाफ के पदों को समाप्त किया जा रहा है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

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ये हैं मांगें

दूरदराज स्थानांतरित का तत्काल स्थानांतरण, वरिष्ठता सूची अपडेट, वर्कलोड अनुसार नए पद व सेवानियम, सभी खाली पदों पर स्थायी भर्तियां व पदोन्नतियां, एसीपी सहित अन्य लंबित मामलों का शीघ्र निपटान, योग्यता अनुरूप उच्च पदों पर समायोजन, कठिन क्षेत्र का स्पेशल भत्ता 10 हजार, निजीकरण की नीतियों पर रोक आदि है।

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