मानसिक रूप से कमजोर महिला की गवाही मानी
नयी दिल्ली, 12 अगस्त (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रूप से कमजोर एक महिला की गवाही पर भरोसा करते हुए बलात्कार के आरोपी की दोषसिद्धि को बृहस्पतिवार को कायम रखा। इससे पहले हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला कायम रखा था। पीड़िता ने अपने साथ हुई बलात्कार की घटना को निचली अदालत में प्रश्नोत्तर रूप में बताया था। यह घटना सितंबर 2015 में उत्तराखंड में हुयी थी और 70 प्रतिशत अशक्त 36 वर्षीय महिला ने निचली अदालत में प्रश्नोत्तर रूप में गवाही दी थी, क्योंकि उसे शपथ नहीं दिलाई जा सकती थी क्योंकि वह इसे समझने में असमर्थ थी। निचली अदालत ने अक्तूबर 2016 में आरोपी को दोषी ठहराते हुए 10 साल की कैद सुनाई थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि जिरह के दौरान महिला ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की तस्वीरों की सही पहचान की थी।
हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को कायम रखा था। अभियुक्त ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, जिसे खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि सबूत में कुछ विरोधाभास हैं। हालांकि, हमारा मानना है कि महिला की गवाही विश्वसनीय है।