कोरोना पर भारी तालिबानी महामारी
बताते हैं कि कोरोना बहुत गुस्से में है जी। ज्ञानीजनों ने पता करके बताया है कि वह तीसरी लहर की तैयारी कर रहा है। उसे गुस्सा इस बात का है कि तालिबान नाम की कोई एक और बीमारी दुनिया में आ गयी और उसने कोरोना से हेडलाइन छीन ली। पिछले डेढ़ साल से कोरोना दुनिया में हेडलाइन था। लेकिन यह तालिबान क्या आया कि उसने कोरोना से हेडलाइन छीन ली। अब कोरोना को यह कौन बताए कि भैया तुम तो जुम्मा-जुम्मा डेढ़ साल पुराने हो, पर तालिबान तो काफी उम्रदराज हो चुके हैं। पता नहीं तुम्हें तो चीन ने अपनी लैब में तैयार किया है कि नहीं, हालांकि अमेरिका को और ट्रंप साहब को तो पक्का विश्वास है कि चीन ने ही तुम्हें अपनी लैब में तैयार किया है, पर तालिबान को तो अमेरिका ने अवश्य ही अपनी लैब में तैयार किया था और यह बात सारी दुनिया जानती भी है और मानती भी है।
अमेरिका ने उसे खूब खिला-पिलाकर उसी तरह जवान किया था जैसे कोई भी मां-बाप अपने बच्चों को पौष्टिक आहार देकर जवान करता है। लेकिन जवान होते ही जैसे बच्चे मां-बाप को घर से निकाल देते हैं, वैसे ही तालिबान ने भी अमेरिका को अफगानिस्तान से निकाल बाहर कर दिया। फर्क यही है कि अमेरिका बेबस मां-बाप की तरह सड़क पर नहीं आया है।
लेकिन अभी तो कोरोना बड़े गुस्से में है। उसका कहना है कि अगर तालिबान बीमारी है तो मैं तो महामारी हूं। अब उसे कौन समझाए कि तालिबान भी भैया महामारी ही है। तुम अगर शरीर को तोड़ते हो, नष्ट करते हो तो तालिबान तो दिमाग को खराब करता है, उसे नष्ट करता है। बल्कि वह तो संवेदनाओं तक की हत्या कर देता है। तुम्हारे पास तो विषाणु ही हैं, उसके पास तो बंदूकें, राॅकेट लांचर और तोप तमंचे सब हैं। तुम तो फेफड़े ही खराब करते हो, सांस ही रोकते हो, वह तो सीधे गोली मार देते हैं।
तुम तो केवल आॅक्सीजन की ही समस्या पैदा करते हो, वे तो जमीर तक का गला घोट देते हैं। तुम तो कई बार सर्दी, जुकाम पर ही बख्श देते हो, उन्होंने तो बख्शना सीखा ही नहीं है। तुम्हें नियंत्रित करने के तो फिर भी दुनिया वालों ने टीके तैयार कर लिए हैं, पर उन्हें नियंत्रित करने का टीका कोई तैयार नहीं करना चाहता। तुम तो अपना वैरियंट खुद तैयार करते हो, लेकिन इनका वैरियंट तो राजनीतिक पार्टियां, नेता और सरकारें तक तैयार करती हैं।
और असली बात तो यह भैया कि तुम तो ज्यादा से ज्यादा तीसरी, चौथी या पांचवीं लहर तक जिंदा रह जाओगे, लेकिन यह तो पता नहीं कब तक जिंदा रहेंगे क्योंकि यह तो अब सरकारी खुराक पर पलेंगे, राजनीतिक खुराक पर पलेंगे। इसलिए कोरोना महाराज गुस्सा थूको और अपनी रवानगी फरमाओ, क्योंकि दूसरी महामारी आ गयी है। इनसानियत एक साथ दो-दो महामारियों को नहीं झेल पाएगी।