Lok Sabha: लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस व भाजपा सदस्यों के बीच हुई तीखी बहस
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा)
TMC Vs BJP: लोकसभा में शुक्रवार को बंगाल से जुड़े एक मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों और कर्नाटक में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े विषय पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की बैठक करीब 25 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
सदन में प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी को अपनी बात रखने का अवसर दिया। बनर्जी ने केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार के पश्चिम बंगाल के विभाजन से संबंधित एक बयान का उल्लेख किया।
अध्यक्ष बिरला ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने सदन में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है और सदन से बाहर दिए गए किसी बयान पर यहां चर्चा नहीं की जाएगी। तृणमूल कांग्रेस सांसद बनर्जी ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा उठाए गए एक मुद्दे का जिक्र करते हुए दावा किया कि उन्होंने कहा कि ‘‘बंगाल के दो जिले ले लिए जाएंगे।''
बिरला ने कहा, ‘‘उन्होंने (दुबे ने) शून्यकाल में अपना विषय रखा। लेकिन हम बाहर के किसी विषय पर यहां चर्चा नहीं करेंगे।'' इस पर बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के अन्य सदस्य उन्हें बोलने की अनुमति देने की मांग करते हुए हंगामा करने लगे।
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष मजूमदार ने बुधवार को कहा था कि उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर पश्चिम बंगाल को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्रालय के अंतर्गत शामिल करने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया है।
दुबे ने बृहस्पतिवार को शून्यकाल में मांग की थी कि झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र, पश्चिम बंगाल के माल्दा और मुर्शिदाबाद तथा बिहार के अररिया, किशनगंज और कटिहार को मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बना देना चाहिए और यहां राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू की जानी चाहिए।
इस बीच बिरला ने भाजपा सदस्य पीसी मोहन को अपनी बात रखने को कहा। बेंगलुरु मध्य संसदीय सीट से सदस्य मोहन कर्नाटक में कथित भ्रष्टाचार का एक मुद्दा उठाने लगे। अध्यक्ष बिरला ने उन्हें भी इसकी अनुमति नहीं दी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर समेत भाजपा के कुछ सदस्य भी मोहन के साथ इस मुद्दे को उठाने लगे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर कुछ आरोप लगाते सुने गए।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को भी अपने स्थान पर खड़े होकर कुछ कहते हुए देखा गया। अध्यक्ष द्वारा अनुमति नहीं मिलने पर दोनों पक्षों के सदस्य हंगामा करने लगे और बिरला ने दोपहर 12 बजकर करीब 5 मिनट पर सदन की कार्यवाही 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।