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दिल के डॉक्टर, उद्योगपति नहीं जीत पाए

10:37 AM Sep 12, 2024 IST
दिल के डॉक्टर  उद्योगपति नहीं जीत पाए
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हरीश भारद्वाज/हप्र
रोहतक, 11 सितंबर
सबसे हॉट सीट रोहतक विधानसभा के लिए भाजपा का टिकट वितरण इस बार काफी रोमांचक रहा। हालांकि टिकट वितरण तो भाजपा की ओर से पहले भी होते रहे हैं और उसके लिए दावेदारों की संख्या भी काफी रही है, लेकिन इस बार के टिकट वितरण में जिस हालात में पूर्व मनीष ग्रोवर को टिकट मिली है, उससे यह मुकाबला भी अब रोचक होने वाला है। असल में इस बार सीट के दावेदारों में मुख्य तौर पर पूर्व मंत्री ग्रोवर के अलावा शहर के प्रसिद्ध दिल के डॉक्टर आदित्य बतरा और उद्योगपति एवं मेयर मनमोहन गोयल भी पूरी भागदौड़ में लगे थे। इतना ही नहीं संगठन और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी भी टिकट वितरण को लेकर अहम भूमिका निभा रहे थे। यह मशक्कत भी करीब दो महीने से चल रही थी लेकिन आखिर में न तो दिल के डॉक्टर संगठन का दिल जीत पाए और न ही उद्योगपति एवं पूर्व मंत्री लाला सेठ किशनदास के बेटे अपनी रणनीति में कामयाब हो पाए। बताया तो यह भी जाता है कि एक दावेदार ने तो पार्टी कार्यालय में बैठकर कुछ पदाधिकारियों के सान्निध्य में अपना नामांकन भी भर दिया था, लेकिन अंतिम समय में पासा ही पलट गया।
असल हुआ कुछ ऐसा कि भाजपा की इस टिकट को पाने के लिए आरएसएस के सेक्टर निवासी व पुराने शहर के एक पदाधिकारी लंबे समय से दिल के डॉक्टर से तालमेल बिठाने में लगे थे, चूंकि कुछ कामों को लेकर पूर्व मंत्री से उनके दिल नहीं मिल रहे थे। इसलिए डॉक्टर का नाम चला दिया गया। यहां तक कि उनकी माता की रस्म किरया के कार्यक्रम में जुटी भीड़ को भी वोटर के जरिए से देखा गया, चूंकि उस कार्यक्रम में पानीपत, गोहाना, भिवानी ससुराल और रोहतक से जुड़ी भीड़ पहुंची थी। इस भव्य भीड़ को वोटर में बदल देने के इरादे से टिकट का दावा भी पक्का किया गया, लेकिन जैसे ही एक धार्मिक स्थल में दोबारा कार्यक्रम हुआ तो भीड़ छंट चुकी थी, यहां तक कि कार्यक्रम के लिए बना लंगर भी दो दिन तक बांटना पड़ा। फिर डॉक्टर का भी अति उत्साह रहा कि उन्होंने दिल्ली की दौड़ खूब लगाई।
वहीं, वैश्य समाज का संतुलन पंजाबी बेल्ट में न बन पाने के चलते उद्योगपति भी खूब भागदाैड़ में तो लगे रहे, लेकिन जब मौका हिसार से पैरवी करवाए जाने का आया तो वहां अपनी ही टिकट के लिए पहले से बगावती सुरों ने बात सिरे नहीं चढ़ने दी और अंतिम समय में बात होते-हाेते बदल गई।

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