Heart Attack दिल की सेहत बनाने को बदलाव लाएं आदतों में
हृदय रोग देश में सालाना लाखों मौतों की वजह बनता है। यदि सही

जीवनशैली अपनाएं, नियमित टैस्ट कराएं, सावधानियां रखें, तो बड़ी संख्या में कीमती जानें बचाई जा सकती हैं। दिल के दौरे की वजहों, एहतियात व बचने के उपायों के बारे में पीजीआई चंडीगढ़ के डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. सोनू गोयल से विवेक शर्मा की बातचीत।
दिल का दौरा तब होता है जब हृदय की धमनियों में अवरोध हो जाता है, जिससे रक्त का प्रवाह रुक जाता है। इसका मतलब है कि हृदय को जरूरी ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और उसकी मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। यदि इसे समय पर न रोका जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। दिल के दौरे को मायोकार्डियल इन्फार्क्शन भी कहा जाता है। दिल के दौरे का मुख्य कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) है, जिसमें धमनियों में प्लाक (चर्बी, कैल्शियम और अन्य तत्वों का जमाव) जमा हो जाता है, जो रक्त प्रवाह को रोक सकता है।विश्व हृदय महासंघ के अनुसार, 80 फीसदी हृदय रोग से होने वाली मौतें निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में होती हैं। भारत में हर साल करीब 26 लाख मौतें हृदय रोगों के कारण होती हैं, जो इसे देश में मृत्यु का प्रमुख कारण बनाता है। यदि समय पर उचित सावधानियां बरती जाएं, तो 40 फीसदी मौतें रोकी जा सकती हैं।
दिल के दौरे जैसे दिखने वाले अन्य रोग
कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी दिल के दौरे जैसी ही महसूस हो सकती हैं, जैसे: एनजाइना – हृदय तक कम रक्त प्रवाह के कारण छाती में दर्द होता है। एसिड रिफ्लक्स – गैस्ट्रिक समस्या के कारण छाती में जलन और दर्द होता है। घबराहट के दौरे – तनाव और चिंता के कारण दिल की धड़कन तेज हो जाती है। श्वसन संबंधी रोग – सांस की तकलीफ और सीने में जकड़न हो सकती है।
क्यों जरूरी है सही पहचान?
दिल के दौरे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों में समानता के कारण जल्द से जल्द मेडिकल सहायता लेना आवश्यक है। अगर किसी को सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई या अत्यधिक पसीना आ रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
युवाओं में बढ़ते दिल के दौरे का कारण
पिछले कुछ वर्षों में 30-40 वर्ष की आयु के युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके प्रमुख कारण हैं:
अस्वास्थ्यकर जीवनशैली : जंक फूड और तली-भुनी चीजों का अधिक सेवन। फलों और सब्जियों का कम सेवन। मोटापा और हाई कोलेस्ट्रॉल। कम शारीरिक गतिविधि और गलत आदतें : बैठे रहने की आदत – व्यायाम की कमी से हृदय कमजोर हो सकता है। धूम्रपान और शराब का सेवन – यह रक्त धमनियों को संकुचित कर हृदय रोग बढ़ा सकता है। मानसिक तनाव और नींद की कमी : वर्क प्रेशर और तनाव से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। रात में कम सोने की आदत हृदय की सेहत को नुकसान पहुंचाती है। अन्य कारण : डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर। वायु प्रदूषण – पीएम 2.5 जैसे प्रदूषकों का बढ़ा स्तर हृदय रोगों को बढ़ा सकता है। रूटीन हेल्थ चेकअप की कमी – समय पर जांच न कराने से बीमारियां गंभीर हो सकती हैं।
हार्ट अटैक के मुख्य जोखिम कारक
हार्ट अटैक के जोखिम कारकों में कुछ बदली जा सकने वाली आदतें शामिल हैं। जैसे : धूम्रपान और शराब का सेवन, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज नियंत्रण में न रखना, अस्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम न करना तथा तनाव और चिंता। वहीं न बदली जा सकने वाली वजहें भी हैं जैसे पुरुषों में 45 वर्ष और महिलाओं में 55 वर्ष के बाद खतरा बढ़ जाता है। परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास। दक्षिण एशियाई समुदाय मसलन भारतीयों में हृदय रोग का खतरा अधिक होता है।
दिल के दौरे से कैसे बचा जाए?
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं : रोज़ 60-90 मिनट तक व्यायाम करें। धूम्रपान पूरी तरह बंद करें और शराब की मात्रा सीमित रखें। पर्याप्त नींद लें यानी 7-8 घंटे सोएं। तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान करें।
सही खानपान : नमक की मात्रा 5 ग्राम से कम रखें (डब्ल्यूएचओ के मानक)। चीनी की मात्रा भी सीमित करें। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक यह पुरुषों के लिए 36 ग्राम और महिलाओं के लिए 25 ग्राम है। फलों, हरी सब्जियों, साबुत अनाज और हेल्दी फैट्स का सेवन करें। ओमेगा-3 युक्त मछली, नट्स और बीज को आहार में शामिल करें। नियमित स्वास्थ्य जांच : 40 वर्ष के बाद हर 1-3 साल में हार्ट चेकअप कराएं। ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर की निगरानी रखें।
हार्ट अटैक के दौरान क्या करें?
लक्षणों को पहचानें : अगर किसी व्यक्ति को सीने में तेज दर्द, सांस लेने में दिक्कत, पसीना आना, जबड़े, कंधे या हाथ में दर्द हो तो तुरंत सावधानी बरतें। त्वरित उपचार करें : व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में बिठाएं या लिटा दें। सॉर्बिट्रेट या नाइट्रोग्लिसरीन जैसी दवाएं (डॉक्टर की सलाह पर) दें। एस्पिरिन की गोली चबाने से भी रक्त प्रवाह सुधारने में मदद मिलती है। सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिस्सिटेशन दें : अगर व्यक्ति बेहोश हो जाए और सांस न ले रहा हो, तो सीपीआर देना बेहद ज़रूरी है। छाती पर तेजी से और गहराई से दबाव डालें (100-120 बार प्रति मिनट)। परिवार में किसी को सीपीआर ट्रेनिंग दिलवाएं ताकि आपातकालीन स्थिति में मदद मिल सके। तुरंत एंबुलेंस बुलाएं: जल्द से जल्द नज़दीकी अस्पताल पहुंचना जरूरी है। गांवों में सीपीआर और इमरजेंसी दवाएं उपलब्ध करानी चाहिए।
दिल की बीमारियों से बचाव के लिए समय पर जांच, स्वस्थ जीवनशैली और सही खानपान का ध्यान बेहद ज़रूरी हैं। युवाओं में बढ़ते मामलों को देखते हुए धूम्रपान छोड़ना, व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करना और तनाव को नियंत्रित करना सबसे बड़े बचाव के उपाय हैं। साथ ही, सीपीआर जैसी जीवनरक्षक तकनीकों की जानकारी हर परिवार को होनी चाहिए, ताकि आपात स्थिति में सही कदम उठाए जा सकें।