मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Health Tips : डिलीवरी का कष्टदायक अनुभव स्तनपान को करता है प्रभावित, चुनौतियों से निपटने में ऐसे मिल सकती है मदद

07:41 PM Jan 05, 2025 IST

लिंकन (ब्रिटेन), 5 जनवरी (द कन्वरसेशन)

Advertisement

बच्चे को जन्म देना बहुत खुशी का पल होता है। हालांकि कुछ माताओं के लिए, बच्चे को जन्म देने का अनुभव कष्टप्रद हो सकता है और मानसिक आघात का कारण बन सकता है। प्रसव पीड़ा शारीरिक जटिलताओं और मनोवैज्ञानिक विकार दोनों का कारण हो सकती है। अक्सर ऐसा तब होता है जब माताएं प्रसव के दौरान खुद को असमर्थ महसूस करती हैं।

शोध से पता चलता है कि तीन में से एक माता को बच्चे को जन्म देने का अनुभव आघातपूर्ण लगता है, तथा लगभग 4 प्रतिशत माताओं में प्रसवोत्तर तनाव विकार (पीटीएसडी) विकसित हो जाता है। इस मानसिक आघात के कारण थकावट, भावनात्मक तनाव, तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ होने में लम्बा समय लग सकता है।

Advertisement

बच्चों को जन्म देने के समय का अनुभव स्तनपान को भी प्रभावित कर सकता है। शोध में पाया गया कि जो माताएं चिकित्सकीय देखभाल से संतुष्ट थीं और प्रसव के अनुभव को सकारात्मक रूप से लेती थीं, उनके द्वारा अपने बच्चों को स्तनपान कराने की संभावना अधिक होती थी। इन माताओं द्वारा शिशु के पहले जन्मदिन के बाद भी स्तनपान जारी रखने की संभावना अधिक थी।

दूसरी ओर, जिन माताओं को प्रसव के दौरान परेशानी का अनुभव हुआ, उनमें स्तनपान कराने या लंबे समय तक स्तनपान जारी रखने की संभावना कम थी। कष्टदायक प्रसव से शुरुआती जुड़ाव में बाधा आ सकती है, जिससे माताएं भावनात्मक रूप से अलग महसूस कर सकती हैं। कुछ माताएं बताती हैं कि वे बिना किसी भावनात्मक जुड़ाव के अपने बच्चे की देखभाल कर रही हैं।

शारीरिक चुनौतियों का भी असर हो सकता है। दर्द, थकान और सीमित गतिशीलता के कारण शिशु को सही स्थिति में रखना या स्तनपान कराना मुश्किल हो सकता है। जिन माताओं को अधिक प्रसव पीड़ा होती है, उन्हें स्तनपान कराने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कई रणनीतियां इन चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती हैं।

प्रसवोत्तर देखभाल के केवल शारीरिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, ये पेशेवर अपने रोगियों के सामने आने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों पर भी विचार करते हैं। परामर्श या सहकर्मी समूहों के माध्यम से भावनात्मक समर्थन माताओं को कष्टप्रद अनुभवों से निपटने में मदद कर सकता है और अकेलेपन को कम कर सकता है।

आघात के बाद मातृत्व
मातृत्व की यात्रा को एक दर्दनाक शुरुआत से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए। स्तनपान से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, लेकिन लंबे समय में मां-बच्चे के बीच संबंध के लिए यह जरूरी नहीं है। हाल में हुए शोधों से पता चलता है कि स्तनपान कराने वाली और ‘फॉर्मूला' दूध पिलाने वाली माताओं के बीच संबंध की गुणवत्ता में कोई खास अंतर नहीं होता है। ‘फॉर्मूला' दूध में मां के दूध की तरह प्रोटीन, शर्करा, वसा और विटामिन के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है।

जन्म के समय होने वाला आघात निस्संदेह एक कठिन शुरुआत है। हालांकि, सही परामर्श के साथ माताएं ठीक हो सकती हैं, आत्मविश्वास हासिल कर सकती हैं और अपने शिशुओं के साथ मजबूत जुड़ाव बना सकती हैं - चाहे स्तनपान के माध्यम से हो या अन्य तरीकों से। माताओं की सहायता के लिए सकारात्मक चिकित्सकीय देखभाल और प्रसव के समय के आघात को समझना जरूरी है। इससे उन्हें चुनौतीपूर्ण शुरुआत से मातृत्व के एक संतोषजनक अनुभव की ओर बढ़ने में मदद मिल सकती है।

Advertisement
Tags :
Dainik Tribune newsDelivery ExperienceFeedinghealth newshealth tipsHindi Newslatest newsPainful Delivery Experienceदैनिक ट्रिब्यून न्यूजहिंदी न्यूज