PGI Chandigarh News: पीजीआई कर्मचारियों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमराईं, 8 महीने से एरियर का इंतजार
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 11 अक्तूबर
PGI Chandigarh News: पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई) के 1600 अस्पताल अटेंडेंट्स पिछले आठ महीनों से एरियर न मिलने के विरोध में लगातार दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। हड़ताल के चलते अस्पताल की सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं।
शुक्रवार को वार्ड से लेकर ऑपरेशन थिएटर (ओटी) और ओपीडी तक की व्यवस्था ठप हो गई, जिससे डॉक्टरों और मरीजों दोनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस बीच, पीजीआई प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए कुछ कदम उठाए, लेकिन हड़ताल खत्म कराने में अब तक असफल रहा।
इसके साथ ही, प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई इलेक्टिव सर्जरी रद्द कर दीं। जिन मरीजों को सर्जरी के लिए शुक्रवार की तारीख दी गई थी, उन्हें घर लौटना पड़ा। ओपीडी सेवाओं में भी बाधा आई, और डॉक्टरों को मरीजों को खुद बुलाना पड़ा क्योंकि अटेंडेंट्स की अनुपस्थिति के कारण काउंटर पर कोई काम नहीं हो रहा था।
प्रशासन फंड की कमी का हवाला देकर टाल-मटोल कर रहा
पीजीआई कॉन्ट्रैक्ट अटेंडेंस एसोसिएशन के प्रधान राजेश चौहान के अनुसार, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पीजीआई कर्मचारियों को एरियर देने का आदेश दिया था, लेकिन प्रशासन इसे अब तक लागू नहीं कर पाया है। राजेश चौहान ने कहा, "यह निंदनीय है कि आठ महीने से हमें एरियर नहीं दिया गया, जबकि मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी है। प्रशासन फंड की कमी का हवाला देकर टाल-मटोल कर रहा है।"
प्रशासन समाधान निकाले
मरीजों ने भी इस हड़ताल पर नाराजगी जताई है। ओपीडी में लंबी कतारें और सर्जरी के रद्द होने से मरीजों को भारी असुविधा हो रही है। एक मरीज ने कहा, "आए दिन हड़ताल के कारण हमारा इलाज बाधित हो रहा है। प्रशासन को इस स्थिति का तुरंत समाधान निकालना चाहिए।" वहीं, पीजीआई प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अन्य राज्यों से आने वाले मरीजों को रेफर न करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि हड़ताल के चलते सीमित सेवाएं ही प्रदान की जा रही हैं, और मरीजों को इस दौरान इलाज में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
यूनियन की चेतावनी
यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो हड़ताल को और भी व्यापक स्तर पर ले जाया जाएगा। इससे अस्पताल की बाकी बची हुई सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। पीजीआई प्रशासन पर अब बढ़ते दबाव के बीच समाधान निकालने की चुनौती है। प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम अब तक कारगर नहीं साबित हुए हैं, और कर्मचारियों के साथ कोई सहमति नहीं बन पाई है, जिससे अस्पताल की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।