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दिव्यांगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित किया जीवन

08:34 AM May 31, 2024 IST
जगाधरी के हिंदू गर्ल्स कालेज में आयोजित कार्यक्रम में जानकारी देती डाॅ. रितू सोनी। -निस
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जगाधरी, 30 मई (निस)
‘कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारों’ वाली कहावत प्रो. डाॅ. रितू सोनी पर फिट बैठ रही है। दिव्यांगता की परवाह किए बिना नौकरी से वीआरएस लेकर डाॅ. रितू सोनी ने अपना जीवन दिव्यांगजनों को समर्पित कर दिया। आरोहण वेलफेयर सोसायटी ने हिंदू गर्ल्स कॉलेज के महिला हॉस्टल में बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दिव्यांगों के बारे में तथा उनके लिए चलाए जा रहे विभिन्न प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देना था। इस मौके पर आरोहण वेलफेयर सोसाइटी की अध्यक्ष डाॅ. रितु सोनी, सचिव भारती कंबोज, कोऑर्डिनेटर रेखा ठुकराल, नीरू, अनीता, साधना निर्मला तथा संजीव उपस्थित रहे।
समिति अध्यक्ष रितु सोनी ने बताया कि उनकी सोसायटी लंबे समय से दिव्यंगता के क्षेत्र में काम कर रही है। उन्होंने हिंदू गर्ल्स कॉलेज में महिला हॉस्टल में कॉलेज प्रबंधन समिति के सहयोग से डे केयर सेंटर खोला हुआ है। इस केंद्र में लगभग 26 ऐसी महिलाएं हैं जो या तो मानसिक रूप से बीमार हैं या फिर किसी न किसी तरह से दिव्यांग हैं। इन सभी महिलाओं को सुबह के समय उनके घर से डे केयर सेंटर में लाया जाता है और यहां पर उनकी देखभाल की जाती है।
उनका कहना है कि जिले के दूर -दराज के गांव से भी ऐसी महिलाओं को चाहे वह किसी भी उम्र की हो को यहां लाया जाता है और उनकी देखभाल की जाती है। यदि आर्टिफिशियल लिंब्स का वितरण करना हो तो वह इस क्षेत्र के लोगों को उपलब्ध कराते हैं,लेकिन डे केयर में केवल महिलाएं ही रह सकती हैं। डाॅ. सोनी ने बताया कि उनकी सोसायटी को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती। दिव्यांग महिलाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के स्किल डेवलपमेंट के कार्यक्रम भी किए जाते हैं जिनमें राखी बनाना, शरबत बनाना, दीये, हर्बल कलर बनाना, मोमबत्ती बनाना व अन्य कई प्रकार के ऐसे कार्य हैं जो इनके लिए लाभदायक होते हैं।
डाॅ. सोनी ने बताया कि कुछ को तो संभालना भी यहां बहुत मुश्किल होता हैं, लेकिन इस प्रकार की मुश्किलों के लिए ही वह यहां पर इस डे केयर सेंटर को खोले हुए हैं। खुद दिव्यांग होते हुए भी डाॅ. रितु सोनी दिव्यांगों के लिए फरिश्ता साबित हो रही हैं। यह समाज में एक मिसाल बनी हुई है।

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