कोहरे का कहर
हर साल की तरह ठंड की दस्तक के साथ ही कोहरे का कहर दिखने लगा है। समाचार छपने लगे हैं कि कोहरे के कारण इतनी फ्लाइट कैंसिल व लेट हुईं और कई का रूट बदला गया। इसी तरह कोहरे से सबसे ज्यादा ट्रेनें प्रभावित होती हैं। ट्रेनों का स्थगित होना और विलंब से चलना सामान्य बात हो गई है। भले ही हम चांद व मंगल पर दस्तक दे रहे हों, लेकिन हम देश में ऐसी तकनीकी व्यवस्था स्थापित नहीं कर पाए कि जो कोहरे में हवाई, रेल व सड़क यातायात को सुचारू संचालित करा सके। दुनिया में तमाम विषम मौसमी परिस्थितियों में लोगों ने जीने की सुगम राहें तलाशी हैं। मनुष्य की जिजीविषा के आगे तमाम विषम मौसमी परिस्थितियों ने राहें खोली हैं। मंगलवार को हरियाणा से कोहरे के चलते हुई सड़क दुर्घटनाओं में ग्यारह लोगों के मरने की खबर आई। वहीं पंजाब से पांच लोगों के मरने की खबर आई। कई लोग घायल भी हुए हैं। हादसों में कई लोग जीवनभर के लिये अपंग हो जाते हैं। हरियाणा में खासकर जीटी रोड वाली बेल्ट में कोहरे का प्रभाव ज्यादा नजर आता है। देश के अन्य राज्यों में भी दृश्यता में बाधा के चलते कुछ लोगों के मरने के समाचार हैं। सवाल यहां मरने व घायल होने वालों की संख्या का नहीं है, जिस भी परिवार में जनक्षति होती है, वह पूरा बिखर जाता है। खासकर जब मरने वाला परिवार का भरण-पोषण करने वाला हो। ये खबरें विचलित करती है कि क्यों निर्दोष लोग बेमौत मारे जाते हैं। यूं तो कोहरा सर्दियों में मौसम की देन है, लेकिन कहीं न कहीं, हमारी आधुनिक जीवन शैली से उपजा प्रदूषण भी इसे घना कर देता है। कोहरे में सड़कों में वाहनों को रेंगते देखा जा सकता है। इसके चलते लगने वाले जाम से न केवल यात्रियों के समय की बर्बादी होती है, बल्कि वाहनों का डीजल-पेट्रोल भी भारी मात्रा में बर्बाद होता है। निश्चित रूप से सड़क दुर्घटनाएं दृश्यता में कमी के चलते होती हैं,लेकिन कहीं न कहीं दुर्घटनाएं किसी की लापरवाही तथा तेज गति से वाहन चलाने से भी होती हैं।
निस्संदेह, मौसम की तल्खी से पूरी तरह मुक्त होना संभव नहीं है, लेकिन शासन-प्रशासन की सजगता व सक्रियता से कई लोगों की जिंदगी बचायी जा सकती है। एक नागरिक के रूप में हमें यात्रा करते हुए न केवल अपना बचाव करना है बल्कि हाईवे पर यात्रा के दौरान ध्यान रखना है कि हमारे किसी व्यवहार से किसी की जान पर संकट न आए। निस्संदेह, वाहन चालक के रूप में व्यक्ति का संवेदनशील व्यवहार जरूरी होता है। यूं तो परिवहन विभाग हर बार निर्देश जारी करता है कि सभी वाहनों के पीछे रिफ्लेक्टर लगे हों, गाड़ियों में फॉग लाइट हो, प्रकाश को परावर्तित करने वाले पेंट आदि सड़कों व पुलियाओं के किनारे लगे हों। वाहनों की गति पर नियंत्रण भी जरूरी है। जहां दुर्घटना उन्मुख क्षेत्र हैं उन्हें विशेष रूप से चिन्हित किया जाना चाहिए। देश के पंद्रह राज्यों में कोहरे का प्रभाव है और इस माह के अंत तक ऐसी ही स्थिति के बने रहने का अनुमान है। कई राज्यों में विभिन्न स्थानों पर विजिबिलिटी जीरो होना बेहद चिंताजनक है। लेकिन कोहरे को लेकर सटीक जानकारी देने से वाहन चालक सतर्कता से अपनी मंजिल की ओर बढ़ सकते हैं। कमोबेश यही स्थिति ट्रेनों की रही और दर्जनों ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। जिससे यात्रियों को घंटों ठिठुराती सर्दी में रेलवे स्टेशनों में इंतजार करना पड़ा है। बताया जा रहा है कि इस साल दिसंबर में रात का पारा ज्यादा न गिरने से भी कोहरा बढ़ा है। कहा जा रहा है कि हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली आदि में तीस दिसंबर तक घना कोहरा बना रहेगा। यही वजह है कि पंजाब व हरियाणा आदि राज्यों में कोहरे का रेड अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञानी बता रहे हैं कि पश्चिमी विक्षोभ के चलते नये साल का स्वागत बारिश के बीच घने के कोहरे से भी हो सकता है। वहीं हिमालय के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी हो सकती है।