मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

स्वर्णिम सफलता से दमकते हरियाणवी खिलाड़ी

06:52 AM Jun 09, 2024 IST

राजकिशन नैन
खिलाड़ी जन्म से महान नहीं होते, उनकी सोच, मेहनत, लगन और उनका जज़्‌बा उन्हें महान बनाता है। हरियाणा के अनेक खिलाड़ियों ने चुनौतियों को धता बताकर अपने-अपने खेल में सशक्त साझेदारी बनाई। उन्होंने वैश्विक फलक पर नये-नये बेजोड़ कीर्तिमान स्थापित किये। खिलाड़ियों के इसी जीवट और जुनून के कारण हरियाणा खेलों की दृष्टि से भारत के तमाम राज्यों में अव्वल है। प्रदीप शर्मा स्नेही की ‘देश का गौरव हरियाणवी पुरुष खिलाड़ी’ खिलाड़ियों के जीवन की ऐसी यात्रा है, जहां सीमा रहित स्पर्धा, सतत हिम्मत और अभ्यास है, तो सपनों की अमित उड़ान भी है। कीर्ति पताका फहराने की सनक है, तो माटी का मान रखने की अपूर्व ललक भी है। यह कृति कुश्ती, मुक्केबाजी, एथलेटिक्स, निशानेबाजी, हॉकी, कबड्डी, वालीबॉल, बास्केट बॉल, लॉन टेनिस, भारोत्तोलन, हैंडबॉल, घुड़सवारी, शतरंज, क्रिकेट, वुशू और जूडो आदि खेलों में नाम कमाने वाले खिलाड़ियों के जीवन से जुड़े अनचीन्हे पहलुओं की ओर ध्यान केन्द्रित करती है।
इस पुस्तक में पाठकों को सामान्य और दिव्यांग खिलाड़ियों के ऐसे अनेक उदाहरण मिलेंगे जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी ऊंची सफलता पाई। ये वे खिलाड़ी हैं जिन्होंने हजारों नवयुवकों को खेलों की तरफ आकृष्ट किया और हजारों को प्रेरणा दी। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारतीय खेल दलों द्वारा जीते गए पदकों में हरियाणवी खिलाड़ियों द्वारा जीते जाने वाले पदकों की संख्या में निरन्तर अपूर्व वृद्धि हो रही है। अलग हरियाणा बनने से पहले ही यहां के खिलाड़ियों ने अपने खेल कौशल की श्रेष्ठता सिद्ध करनी शुरू कर दी थी। गांव मन्दोला (चरखी दादरी) के लीलाराम ने ब्रिटेन के कार्डिफ में आयोजित 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में दक्षिण अफ्रीका के जेकोबस हानेकोम को हराकर कुश्ती का पहला स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाला था। सन‍् 1970 के बैंकाक एशियाई खेलों के दौरान 100 किलो भार वर्ग की कुश्ती स्पर्धा में पहली बार स्वर्ण पदक जीतकर गांव सिसाय कालीरमण (हिसार) के मास्टर चन्दगीराम ने भी इसी तरह भारत का भाल ऊंचा किया था।
टोकियो में आयोजित 2021 के ओलंपिक खेलों की एथलेटिक्स स्पर्धा में गांव ख़दरा (पानीपत) के नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर जो स्वर्णिम इतिहास रचा, उसे देखकर करोड़ों देशवासियों की आंखें हर्षातिरेक के मारे सजल हो उठीं। ऐसा ही करिश्मा 25 जून, 1983 को हरियाणा के महान क्रिकेटर कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने दिखाया था। नि:संदेह, यह रचना श्रेष्ठ और संग्रहणीय है।

Advertisement

पुस्तक : देश का गौरव हरियाणवी पुरुष खिलाड़ी लेखक : डॉ. प्रदीप शर्मा ‘स्नेही’ प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर पृष्ठ : 412 मूल्य : रु. 450.

Advertisement
Advertisement