हरियाणा के गांव दौलतपुर नसीराबाद का नाम ही रख दिया था कार्टरपुरी
वाशिंगटन, 30 दिसंबर (एजेंसी)
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित एवं अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का रविवार को निधन हो गया। वह 100 वर्ष के थे। कार्टर भारत की यात्रा करने वाले तीसरे अमेरिकी नेता थे और उनकी यात्रा के दौरान उनके सम्मान में हरियाणा के एक गांव का नाम उनके नाम पर कार्टरपुरी रखा गया था। सबसे लंबे समय तक जीवित रहे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति कार्टर ने 1977 से 1981 तक इस पद पर सेवाएं दी थीं। मूंगफली की खेती करने वाले कार्टर ने ‘वाटरगेट’ घोटाले और वियतनाम युद्ध के बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था। वह 1977 से 1981 तक राष्ट्रपति रहे। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा, ‘अमेरिका और विश्व ने आज एक असाधारण नेता, राजनीतिज्ञ और मानवतावादी खो दिया।’
भारत का मित्र माना जाता था जिमी को
कार्टर को भारत का मित्र माना जाता था। वह 1977 में आपातकाल हटने और जनता पार्टी की जीत के बाद भारत आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे। भारतीय संसद में अपने संबोधन के दौरान कार्टर ने सत्तावादी शासन के खिलाफ बात की थी। कार्टर ने दो जनवरी, 1978 को कहा था, ‘भारत की कठिनाइयां, जिनका हम अक्सर स्वयं अनुभव करते हैं और जिनका विशेष रूप से विकासशील देशों को सामना करना पड़ता है, वे हमें भविष्य की जिम्मेदारियों की याद दिलाती हैं। सत्तावादी तरीके की नहीं।’ उन्होंने सांसदों से कहा था, ‘भारत की सफलताएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे इस सिद्धांत को निर्णायक रूप से खारिज करती हैं कि आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति के लिए विकासशील देश को सत्तावादी या अधिनायकवादी सरकार को और इस तरह के शासन से मनुष्यता की भावना को होने की नुकसान को स्वीकार करना होगा।’ कार्टर ने कहा था, ‘क्या लोकतंत्र महत्वपूर्ण है? क्या सभी लोग मानवीय स्वतंत्रता को महत्व देते हैं?...भारत ने जोरदार आवाज में ‘हां’ में जवाब दिया है और यह आवाज पूरी दुनिया में सुनी गई। पिछले मार्च यहां कुछ महत्वपूर्ण हुआ, इसलिए नहीं कि कोई खास पार्टी जीती या हारी, बल्कि इसलिए कि मतदाताओं ने स्वतंत्र रूप से और समझदारी से चुनावों में अपने नेताओं को चुना। इस अर्थ में, लोकतंत्र ही विजेता रहा।’ इसके एक दिन बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कार्टर ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच मित्रता के मूल में उनका यह दृढ़ संकल्प है कि सरकारों के कार्य लोगों के नैतिक मूल्यों से निर्देशित होने चाहिए।
कार्टर की मां लिलियन नर्स बनकर आयी थीं
‘कार्टर सेंटर’ के अनुसार, तीन जनवरी, 1978 को कार्टर और तत्कालीन प्रथम महिला रोजलिन कार्टर गुड़गांव के गांव दौलतपुर नसीराबाद गए थे। वह भारत की यात्रा पर जाने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे और देश से व्यक्तिगत रूप से जुड़े एकमात्र राष्ट्रपति थे। उनकी मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में ‘पीस कोर’ के साथ एक नर्स के रूप में वहां काम किया था। ‘कार्टर सेंटर’ ने कहा, ‘यह यात्रा इतनी सफल रही कि कुछ ही समय बाद गांव के निवासियों ने उस क्षेत्र का नाम बदलकर ‘कार्टरपुरी’ रख दिया।’ उसने कहा, ‘इस यात्रा ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा: जब राष्ट्रपति कार्टर ने 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता तो गांव में उत्सव मनाया गया और तीन जनवरी को कार्टरपुरी में अवकाश रहता है।’ उसने कहा कि इस यात्रा ने एक स्थायी साझेदारी की नींव रखी, जिससे दोनों देशों को बहुत लाभ हुआ है।
‘बढ़ई’ कार्टर ने लोनावला के पास 100 परिवारों को घर बनाने में की थी मदद
मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर लोनावला के निकट निम्न आय वाले 100 परिवारों के लिए जिमी कार्टर ईश्वर के दूत थे क्योंकि उन्होंने 2006 में उनके घर बनाने में मदद की थी। उस वर्ष अक्तूबर में एक सप्ताह तक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी रोजलिन ने परिवारों और लगभग 2,000 अंतरराष्ट्रीय व स्थानीय स्वयंसेवकों के साथ मिलकर लोकप्रिय हिल स्टेशन लोनावला के पास पाटन गांव में घर बनाने का काम किया था। स्वयंसेवकों में हॉलीवुड अभिनेता ब्रैड पिट और बॉलीवुड अभिनेता जॉन अब्राहम शामिल थे। ये घर गैर सरकारी संगठन ‘हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी’ के तत्वावधान में बनाए गए थे। कार्टर ने अपने बढ़ई के कौशल का इस्तेमाल करके संगठन की छवि को निखारने के लिए पैसे जुटाए। कार्टर 1984 से हर वर्ष एक सप्ताह का अपना समय और अपना निर्माण कौशल संगठन को देते रहे हैं। एक साक्षात्कार में कार्टर ने कहा था कि उनकी मां लिलियन 67 वर्ष की उम्र में पीस कॉर्प्स में शामिल हुई थीं और मुंबई के पास कुष्ठ रोगियों की एक कॉलोनी में काम करती थीं। कार्टर ने अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले और एकमात्र कार्यकाल के अंत में 1980 में व्हाइट हाउस छोड़ दिया था। पूर्व राष्ट्रपति ने याद करते हुए कहा था, ‘मेरी मां बम्बई के बहुत निकट विक्रोली नामक एक छोटे से गांव में रहती थीं।’ उनका इशारा उस स्थान की ओर था जो अब महानगर का एक केंद्रीय उपनगर है। हैबिटैट के साथ कार्टर का जुड़ाव 1984 में शुरू हुआ। यह एनजीओ स्वयंसेवकों के साथ मिलकर गृहस्वामियों को घर बनाने में मदद करता है और इसकी स्थापना कार्टर के गृहनगर प्लेन्स के निकट अमेरिकस, जॉर्जिया में की गई थी। जॉर्जिया के मूंगफली किसान (जिमी कार्टर) को पद (अमेरिका का राष्ट्रपति) छोड़ने के बाद नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रविवार को 100 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वह अपने देश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले पूर्व राष्ट्रपति थे।